उत्तराखण्ड
6 दिसम्बा 2024
निकाय व पंचायत चुनाव क्या एक साथ ही चुनाव कराने के मूड में सरकार ?
देहरादून। उत्तराखंड में निकाय चुनाव कब होंगे। इसको लेकर इंतजार लंबा होता जा रहा है। एक साल से भी ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद सरकार निकाय चुनाव को लेकर फैसला नहीं ले पाई है। इस बीच त्रिस्तरीय पंचायतों के भी कार्यकाल पूरे हो गए हैं।
ऐसे में ये सवाल उठने लगा है कि क्या निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ होंगे। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल इस बात का समर्थन करते हुए नजर आए हैं। शहरी विकास मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि उनका व्यक्तिगत मत है कि निकाय और पंचायत के चुनाव एक साथ होने चाहिए।
मना जा रहा है कि निकाय को लेकर स्थिति 15 से 25 दिसंबर के बीच साफ हो जाएगी। इस बीच निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। राजभवन में ओबीसी आरक्षण संबंधी फाइल से मुहर का इंतजार किया जा रहा है। जिसके लगते ही निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी। इस बीच पंचायतों का भी नवंबर में कार्यकाल पूरा हो गया है। जिला पंचायतों में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष ही प्रशासक बनाए गए हैं।
जबकि प्रधान और क्षेत्र पंचायतों का काम जिला प्रशासन के पास है। प्रधान और क्षेत्र पंचायतों का संगठन भी जिला पंचायत की तरह प्रशासक बनाने की मांग करने लगे हैं। भाजपा का तर्क है कि वर्ष 2016 मे तत्कालीन कांग्रेस सरकार मे जिप अध्यक्ष को प्रशासक बनाने के लिए रूप रेखा तय की गयी थी। पंचायत राज एक्ट में 2016 में संशोधन के तहत पंचायत राज एक्ट 2016,130/6 संशोधन में प्रशासक नियुक्ति का अधिकार है। त्रिस्तरीय पंचायत राज एक्ट मे ग्राम प्रधान या ब्लॉक प्रमुख का कार्यकाल बढाने का का कोई प्राविधान नहीं है। 2021 मे इसे लेकर हाई कोर्ट मे दायर याचिका भी खारिज हो चुकी है। हाईकोर्ट भी इस पर गाइड लाइन तय कर चुका है।
सरकार द्वारा प्रशासक नियुक्त किए हैं, लेकिन उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए। साथ नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार भी प्रशासक के बजाय शासन को दिए गए हैं। हालांकि सरकार ने संगठनों को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। लेकिन फिलहाल इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि क्या निकाय और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। पंचायती राज एक्ट के अनुसार कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले अथवा बाद में चुनाव कराए जाने आवश्यक हैं। जो कि आने वाले कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा। ऐसे में इस तरह की किसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं।
कहा है कि इससे समय भी बचेगा और खर्चा भी। साथ ही बार-बार लगने वाली आदर्श आचार संहिता से भी निजात मिल सके और प्रदेश के विकास में भी कोई बाधा पैदा ना हो सके। निकाय और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की मांग भाजपा पहले भी कर चुकी है तो क्या ये माना जाए कि भाजपा पंचायतों के कार्यकाल पूरा करने का इंतजार कर रही थी और जब अब समय आ गया तो अब एक साथ ही चुनाव कराने का धामी सरकार का मूड है।