अकेलापन और सोशल मीडिया की वजह से अपने परिवार से दूर हो रहे लोग

अकेलापन और सोशल मीडिया की वजह से अपने परिवार से दूर हो रहे लोग

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उत्तराखण्ड
15 अप्रैल 2025
अकेलापन और सोशल मीडिया की वजह से अपने परिवार से दूर हो रहे लोग
लोगों ने इस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर को तेजी से अपनाया। देश में खासतौर पर युवा पीढ़ी हमेशा नई-नई चीजों के प्रति आकर्षित व नए-नए गेजेट्स को लेकर जिज्ञासु रही है। भले इस बहस का कोई अंत न हो लेकिन अकेलापन और सोशल मीडिया दोनों एक-दूसरे की वजह जरूर बने। भारतीय समाज में ऐसे परिवार भी हैं, जहां व्यक्ति परिवार से कटने के बाद सोशल मीडिया का आदी हो रहा है। यानी जब व्यक्ति के पास घर में न कोई बोलने-चालने वाला है, न उसके दुख-दर्द समझने वाला तो वह सोशल मीडिया पर सक्रिय हो जाता है। यहां उसे एक ऐसी दुनिया मिलती है जो जाने-अनजाने उसके दुख-दर्द में भागीदारी करती दिखाई पड़ती है। मिसाल के तौर पर यदि आप फेसबुक पर सिर्फ यह भी लिखकर डाल दें कि आप बीमार हैं तो आपके जल्द स्वस्थ होने की दुआओं के साथ अनेक शुभकामनाएं तुरंत प्रतिक्रिया स्वरूप मिल जाती हैं। खासतौर पर भारत के मध्यम वर्गीय परिवारों में यही हो रहा है।

आजकल हर कोई घिल​बी आर्ट का दीवाना है। ओपन एआई के चौट जीटीपी ने नया टूल क्या लांच किया कि लोग पागल हो गए। हालात तो यह हैं कि खुद कम्पनी को लोगों से रिकवेस्ट करनी पड़ी कि थोड़ा संयम रखें क्योंकि लोगों की डिमांड की वजह से स्टूडियो घिबली के कर्मचारी सो भी पा नहीं रहे हैं। हर कोई घिबली से अपनी इमेज को कार्टून की तरह बनाकर इंटरनेट पर डाल रहा है। लोगों अपनी फोटो से एमिनेशन बना रहे हैं। घिबली भले ही आप लोगों के लिए नया हो लेकिन इसकी शुरूआत 1985 में हुई थी। अपने हैंड-ड्रॉन एमिनेशन के जरिये किस्से-कहानियां कहने वाले इस आर्ट स्टूडियो ने लाखों दिलों को जीता है। इस आर्ट की मदद से कई हिट फिल्में बनी हैं जो एआई की मदद से आप तक पहुंची हैं।

घिबली की जड़ें जापान से जुड़ी हुई हैं। हायाओ मियाजाकी एनिमेटर ने इसकी शुरूआत की थी। उन्होंने इस एनिमेटर आर्ट का इस्तेमाल कर कई फिल्में और टीवी सीरियल बनाए हैं तथा इसी आर्ट से बनी एक फिल्म स्पिरिटेड अवे में 2300 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कमाई की है और खुद उनकी सम्पत्ति 500 करोड़ रुपए के करीब है। घिबली की तस्वीरों को वायरल होने के बाद मियाजाकी ने एआई ​जनरेटेड एनिमेशन की आलोचना की थी। मियाजाकी ने कहा था कि एआई जनरेटेड एमिनेशन जीवन का अपमान है। वह मानते हैं कि कला का असली सार तभी झलकता है जब इंसान अपने अनुभवों, दर्द, खुशी और संवेदनाओं को चित्रों और कहानियों में उतारता है लेकिन एआई आधारित एमिनेशन इस गहराई से कोसों दूर है। एआई के बढ़ते उपयोग को लेकर दुनियाभर में बहस जारी है। एक वर्ग इसे क्रिएटिव इंडस्ट्री में क्रांति मानता है तो कुछ इसे कला के ​िलए खतरा बताते हैं। एक वर्ग मानता है कि इससे असली आर्ट पीछे रह जाएगी। लोगों के पागलपन के बीच यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि अपनी फोटो को कार्टून शैली में बदलते लोग अपनी तस्वीरों का सारा एसेस ​​घिबली को देे देते हैं, जिससे भविष्य में इन तस्वीरों का दुरुपयोग हो सकता है।

एक बार जब आप सोशल मीडिया पर एक्टिव हो जाते हैं तो घर परिवार से आपका ताल्लुक बहुत कम हो जाता है। इस स्थिति में आप यह इच्छा करते हैं कि अब वापस अपने परिवार के बीच लौट जाएं तो यह मुमकिन नहीं हो पाता या तो आपके परिवार के सदस्य दूसरी जगह व्यस्त हो चुके होते हैं या फिर वे भी सोशल मीडिया पर ही सक्रिय हो जाते हैं। यह स्थिति तो अब आमतौर पर घरों में भी देखी जा रही है कि घर में चार सदस्य बैठे हैं और चारों अपने-अपने मोबाइलों पर फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। चारों के बीच कोई संवाद नहीं होता। आलम यह होता है कि पति एक कमरे में बैठा खाना खा रहा है और पत्नी दूसरे कमरे में बैटी कोई काम कर रही है। मोबाइल उसके भी एकदम करीब रखा है। पति सब्जी मांगने के लिए पत्नी को व्हाट्सएप करता है। पत्नी अंदर से आकर पति को सब्जी देती है।

सब्जी मांगने की यह प्रक्रिया देखने में छोटी सी लग सकती है लेकिन सोचिए कि एक ही घर में रहते हुए पति-पत्नी सीधे संवाद नहीं करते, बल्कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। इसका एक अर्थ यह भी है कि दोनों पति-पत्नी हर समय सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। आखिर सोशल मीडिया में ऐसा क्या है कि वह आपको रियल वर्ल्ड से काटकर अपनी ओर आकर्षित कर रहा है? दरअसल सोशल मीडिया पर लगातार आने वाले नोटिफिकेशन आपके ब्रेन को एक्टिव बनाए रखते हैं। आपके स्टेटस पर मिलने वाले लाइक्स या कमेंट्स आपको एक छद्म खुशी का अहसास कराते हैं या आपके अस्तित्व को प्रमाणित करते हैं। ​सोशल मीडिया के प्रति लोगों की दिवानगी इस कद्र बढ़ गई है कि वह समाज और परिवार से कट गए हैं। पता नहीं लोग समाज से संवाद कैसे स्था​िपत करें

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