अक्षय तृतीया के देशव्यापी अभियान का शुभारंभ

अक्षय तृतीया के देशव्यापी अभियान का शुभारंभ

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उत्तराखण्ड
2 मई 2025
अक्षय तृतीया के देशव्यापी अभियान का शुभारंभ
रूद्रपुर। बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में सामाजिक संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के उधम सिंह नगर सहयोगी संगठन इंस्टीट्यूट आफ सोशल डेवलपमेंट द्वारा शहीद उधम सिंह सभागार विकास भवन में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत बाल विवाह के खिलाफ धर्मगुरु को शामिल करते हुए अक्षय तृतीया के देशव्यापी अभियान का शुभारंभ किया गया।
धर्मगुरु ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। जिला कार्यक्रम अधिकारी मुकुल चौधरी ने उपस्थित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाते हुए बाल विवाह की सूचना विभाग को साझा करने को निर्देशित किया। जिला प्रोबेशन अधिकारी व्यौमा जैन ने बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 तथा 112 की सहायता के बारे मे बताया। पूर्व प्रधानाचार्य पार्वती देवी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब वह साढ़े 13 वर्ष की थी तभी उनका विवाह कर दिया गया था महिलाओं की स्थिति को देखते हुए उसी समय उन्होंने ठाना कि न सिर्फ मुझे सशक्त होना है बल्कि मेरी जैसी स्थिति की अन्य बालिकाओं को भी मुझे मार्गदर्शन करना है। उन्होंने कहा कि पर्दा प्रथा होने के बाद भी उन्होंने अपने ससुराल वालों के सहयोग से एमए बीएड की शिक्षा ग्रहण करी तथा प्रतियोगी परीक्षा में सफल होते हुए लेक्चरर पद पर जनपद पिथौरागढ़ के दुर्गम क्षेत्र में जहां 5 लीटर पानी भी 10 किलोमीटर तक पैदल लेकर चलना होता था वहा 15 वर्षों तक अपनी सेवाएं देने के उपरांत प्रधानाचार्य के पद पर चयन हुआ और शहर के गरीब बच्चियों की शिक्षा के लिए प्रेरित किया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर के0के0 अग्रवाल ने बताया कि बाल विवाह का शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। एक अपरिपक्व मां कुपोषित बच्चों को जन्म देती है जिससे मां और बच्चा दोनों का जीवन खतरे में पड़ जाता है ऐसी बालिकाओं की गर्भावस्था भी हाई रिस्क में रहती है। आईएसडी के अध्यक्ष डॉ अमित कुमार श्रीवास्तव ने एक्सेस टू जस्टिस के द्वारा जनपद में बाल विवाह एवं बाल मजदूरी के लिए किए गए पहल एवं भविष्य में साथ में टीम भावना से काम करने के लिए उधम सिंह नगर को बाल विवाह मुक्त करने के लिए सभी से आवाहन किया साथ ही बाल विवाह में दंड के प्रावधानों की जानकारी दी।
आईएसडी की परियोजना निदेशक विदु वासिनी ने बताया कि विकसित भारत स्वप्न तभी संभव है जब भारत बाल विवाह मुक्त हो अभी भी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच के आंकड़ों के अनुसार 23.3 प्रतिशत बाल विवाह हो रहे हैं। किसी भी धर्म में वैवाहिक कार्यक्रम बिना धर्म गुरुओं के संपादित नहीं होता है। यदि धर्मगुरु बाल विवाह की भावावयता को समझें और ऐसे वैवाहिक कार्यक्रमों का बहिष्कार करें तो बहुत जल्दी बाल विवाह पर लगाम लगाया जा सकता है। उपस्थित धर्म गुरुओं ने शपथ ली कि वह बाल विवाह का हर क्षेत्र में विरोध करेंगे।
कार्यशाला में आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकतिया, चाइल्डलाइन बाल कल्याण समिति आशा कार्यक्रम के पदाधिकारी, पदाधिकारी बाल विकास परियोजना अधिकारी आशा नेगी, सुपरवाइजर रीता एवं आईएसडी के कार्यकर्ता प्रेम, रईस, रविंद्र, आरती एवं आंगनवाडी कार्यकर्ता बबली सरकार, रुचिता, मलिक आदि ने प्रतिभाग किया।

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