उत्तराखण्ड
31 दिसम्बर 2020
अब नक्शा पास कराने के लिए आर्किटेक्ट की जरूरत नहीं
देहरादून। उत्तराखंड में घर का नक्शा बनाने और इसे विकास प्राधिकरण से पास कराने के लिए अब आपको ऑर्किटेक्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी। दरअसल सरकार सभी प्राधिकरणों में प्री-एप्रूव मैप की व्यवस्था लागू कर रही है। इसके तहत लोग प्लॉट के साइज के अनुसार पहले से तैयार नक्शे चुन, प्राधिकरण के पास जमा कर सकते हैं। नक्शा सीएससी के जरिए जमा किए जाएंगे। अनियोजित निर्माण के पीछे विकास प्राधिकरणों में नक्शा पास कराने की प्रकिया और अधिक लागत अहम वजह है। इसलिए आवास विभाग आवासीय भवनों के लिए नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को सरल बनाने जा रहा है। इसी क्रम में विभाग प्री एप्रूव मैप की व्यवस्था लागू कर रहा है। इसके तहत विभाग ने अलग-अलग प्लॉट साइज के अनुसार नक्शे तैयार कर मैप एप्रुवल सॉफ्टवेयर पर उपलब्ध करा दिए हैं। लोग अपने प्लॉट साइज और की प्लान के अनुसार नक्शे चुन, आवेदन कर सकेंगे। नक्शे के लिए आवेदन से लेकर फीस जमा करने का काम कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए किया जाएगा। मौजूदा समय में विकास प्राधिकरण ऑर्किटेक्ट के जरिए ही नक्शा स्वीकार करते हैं, जो इसके बदले नक्शा बनाने और प्रोसेसिंग फीस लोगों से लेते हैं। प्री एप्रूव मैप प्रणाली से यह खर्चे बच जाएंगे।
शपथपत्र देकर काम चल जाएगा
प्री एप्रूव मैप प्रणाली के तहत उडा ने अलग-अलग साइज के ढाई सौ से अधिक नक्शे तैयार कर, कॉमन सॉफ्टवेयर पर डाल दिए हैं। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए उडा, कॉमन सर्विस सेंटर के साथ एमओयू करने जा रहा है। इसमें प्रति आवेदन फीस तय होनी है। आवास विभाग इसके लिए कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों को प्रशिक्षण भी देगा। हालांकि लोगों को निर्माण कार्य हर तरह से गैर विवादित होने का स्वप्रमाणित शपथपत्र देना होगा। प्रथम चरण में यह व्यवस्था ढाई सौ वर्ग मीटर तक के प्लॉट साइज आवासीय निर्माण के लिए ही लागू होगी।
खुद कर सकेंगे आवेदन
प्री एप्रूव मैप प्रणाली के तहत तकनीकी रूप से दक्ष लोग अपने आवेदन खुद भी कर सकेंगे। इसके लिए आवास विभाग, आम लोगों के लिए भी पेमेंट गेटवे सुविधा दे रहा है। जबकि अन्य लोग आवेदन और फीस जमा करने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की सहायता ले सकेंगे।
प्रदेश में अभी ऑर्किटेक्ट की उपलब्धता सीमित है, इसलिए हम प्री एप्रूव मैप प्रणाली लागू कर रहे हैं। लोग कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए, नक्शा के लिए आवेदन कर सकेंगे। सीएससी के साथ एमओयू के साथ ही जल्द ही यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। यह प्रणाली लोगों को सस्ती पड़ेगी।
-शैलेश बगोली, सचिव आवास