महाराष्ट्र
29 मार्च 2021
अब नाईट कफ्यू नहीं लाॅकडाउन से चलेगा काम
मुम्बई। राज्यª में विस्फोटक कोरोना वायरस संकट को देखते हुए अब किसी बड़े निर्णय तक पहुंचना जरूरी हो गया है. धारा 144 काफी नहीं, कर्फ्यू से भी बात बनने वाली नहीं. लॉकडाउन की तैयारी में लगने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दे दिया है. रविवार को इस संबंध में मुख्यमंत्री ने एक अहम बैठक बुलाई. इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, मुख्य सचिव सीताराम कुंटे, टास्क फोर्स के डॉक्टर्स और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री ने इस बैठक में कहा कि अगर कोरोना से जुड़े नियमों और प्रतिबंधों का सख्ती से पालन नहीं हो पा रहा है तो आने वाले कुछ दिनों में संपूर्ण लॉकडाउन लगाने की तैयारी पूरी कर ली जाए. मुख्यमंत्री ने मंत्रालय और सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालयों में मिलने आने वालों की आवाजाही पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने का निर्देश दिया और निजी कार्यालयों में भी सिर्फ 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ काम करने के निर्देशों का पालन कड़ाई से करवाने का आदेश दिया.
बेड्स, वेंटिलेटरों की कमी, मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी से चिंता
इस बैठक में टास्क फोर्स के सदस्यों ने बढ़ती मृत्यु दर पर चिंता जताई. कल राज्य में शनिवार को एक ही दिन में 166 लोगों की मृत्यु हुई. रविवार को सिर्फ नागपुर में 58 लोगों की मृत्यु हो गई. प्राइमरी हेल्थ केयर के चीफ सेकेट्री डॉ. प्रदीप व्यास ने बेड्स, वैंटिलेटर और ऑक्सीजन की कमी का संकट दोहराया और जल्द ही इनकी सप्लाई बढ़ाने पर जोर दिया.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में 3 लाख 57 हजार आइसोलेशन के लिए उपलब्ध बेड्स में से 1 लाख 7 हजार बेड्स पहले से ही भर चुके हैं. बचे हुए बेड्स भी तेजी से भरते जा रहे हैं. इसी तरह 60 हजार 349 ऑक्सिजन की सुविधाओं वाले बेड्स में से भी 12 हजार 701 बेड्स फुल हो चुके हैं. इसी तरह 9 हजार 30 वेंटिलेटर्स में से 1 हजार 881 वेंटिलेटर्स पर संक्रमित मरीजों का इलाज शुरू है. कुछ जिलों में तो बेड्स उपलब्ध ही नहीं हैं, जबकि संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे जिलों में जितनी तेजी से मरीज सामने आ रहे हैं, सुविधाएं उतनी ही कम पड़ती जा रही हैं.
जांच नहीं बढ़ाने का परिणाम दिख रहा
सही समय पर जांच में गति नहीं लाने का परिणाम दिखाई देने लगा है. पिछले साल 17 सितंबर को 3 लाख ऐक्टिव केस थे और 31 हजार 351 लोगों की मृत्यु हुई थी. जबकि अब स्थिति यह है कि 27 मार्च के दिन 3 लाख 3 हजार 475 ऐक्टिव केस हैं और मृतकों की संख्या 54 हजार 73 हो चुकी है. टास्क फोर्स के सदस्यों ने बताया कि संक्रमण बढ़ेगा तो उसी अनुपात में मृतकों की संख्या भी बढ़ेगी. उनके मुताबिक समय पर जांच नहीं करवाने, अस्पताल में भर्ती होने में देर करने और होम आइसोलेशन के वक्त नियमों का कड़ाई से पालन नहीं करने की वजह से संक्रमण बढ़ता गया है. पिछले साल सितंबर में एक दिन में सर्वाधिक 24 हजार 619 नए केस सामने आए थे. जबकि कल यानी 27 मार्च की बात करें तो एक दिन में 35 हजार 726 नए केस सामने आए हैं.
बस बहुत हुआ, लॉकडाउन की तैयारी करें- सीएम
इस बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम एक तरफ जमाबंदी (धारा 144) से इसलिए काम चला रहे हैं कि कोविड काल में भी अर्थव्यवस्था पटरी से ना उतरे. लेकिन अनेक लोग अभी भी स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए तैयार नहीं हैं. अगर वे तैयार नहीं हैं तो हमें ही अब तालाबंदी (लॉकडाउन) की तैयारी करनी पड़ेगी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्दश दिया कि वे लॉकडाउन की तैयारी शुरू कर दें.
मुख्यमंत्री ने कहा अभी भी लोग निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत की उपस्थिति के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. विवाह कार्यक्रम में नियमों को धड़ल्ले से तोड़ा जा रहा है. बाजारों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में एक-दूसरे से सुरक्षित अंतर रखने और मास्क रखने जैसी बुनियादी चीजों तक का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता में किसी भी दूसरे मुद्दे से लोगों के स्वास्थ्य का मुद्दा सबसे अहम है. इसलिए लोग कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन करें वरना लॉकडाउन ही एक विकल्प अब बचता है. ऐसा कहते हुए मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन की तैयारी को ध्यान में रखने का निर्देश दिया और लॉकडाउन लगाए जाने के बाद अनाजों की उपलब्धता, दवाइयों और चिकित्सा और अति आवश्यक सेवाओं से जुड़ी आकस्मिक तैयारियों की प्लानिंग करने का निर्देश मुख्य सचिव को दे दिया. बैठक में लिए गए निर्णय
आखिर में बैठक का निष्कर्ष यह रहा कि कुछ तय दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया जाए. उस लॉकडाउन की पूरी प्रक्रिया प्रधान सचिव तैयार करें, जिससे सही योजना के साथ लॉकडाउन लगाया जा सके. ऑक्सीजन की जरूरत का खास खयाल रखा जाए. होम क्वारंटीन की बजाए इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन की तैयारी की जाए. मृत्यु दर की बढ़ती संभावना को देखते हुए ई आईसीयू और वेंटिलेटर्स की व्यवस्था पर्याप्त हो. डॉक्टरों की कमी ना हो इसलिए अच्छे प्राइवेट डॉक्टरो की सेवाएं ली जाएं. इलाज से जुड़ी सेवाओं में खास कर बूढ़े रोगियों का ध्यान रखा जाए. संक्रमित सदस्यों के संपर्क में आए कर्मचारियों की टेस्टिंग और उनसे वर्क फ्रॉम होम तरीके से काम करवाया जाए.