आज अर्ध्य का पहला दिन छठ व्रती अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देंगे

आज अर्ध्य का पहला दिन छठ व्रती अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देंगे

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उत्तराखण्ड
19 नवम्बर 2023
आज अर्ध्य का पहला दिन छठ व्रती अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देंगे
काशीपुर। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाए खाए के साथ चावल और लौकी की सब्जी खाकर महापर्व की शुरुआत हुई. उसके बाद छठ व्रती 36 घंटे की निर्जला उपवास पर हैं. यानी महापर्व पूरा होने तक पानी भी नहीं पीना है.

शनिवार को खरना हुआ है. शाम के समय गुड़ से बनी खीर जिसको पूर्वांचल में रसिआव कहा जाता है, बनाकर प्रसाद के तौर पर छठ व्रत करने वालों के परिवार और अन्य लोगों में बांटी गई है. आज रविवार (19 नवंबर) को लाखों की संख्या में छठ व्रती े अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देंगे.

छठ घाटों पर रहेगी चहल-पहल
इस दिन छठ घाटों पर गजब की चहल-पहल रहने वाली है. छठ व्रत करने वाले पुरुषों के साथ रंग बिरंगी साड़ियों में नाक से लेकर सिर के मध्य हिस्से तक सिंदूर लगाई व्रती सुहागन महिलाएं, शूप में केला, सेव, नारियल, नारंगी, नाशपाती आदि सजाकर नदी, तालाबों, झरना, या कृत्रिम जलाशय के पानी में घुसकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे.

आपको बता दें कि छठ पर्व, छठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक महान पर्व है. सूर्याेपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है. छठ पूजा सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है. इसमें किसी खास मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है और सबसे बड़ी बात यह है कि छठी मइया की पूजा के लिए व्रती महिलाएं 36 घंटे से अधिक समय तक भूखी रहती हैं, जबकि उन्हें ना तो भूख लगती है और ना ही प्यास. इसीलिए इसे आस्था का महापर्व कहा जाता है.

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