आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की आज से राष्ट्रव्यापी हडताल

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दिल्ली
24 सितम्बर 2021
आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की आज से राष्ट्रव्यापी हडताल
नई दिल्ली। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आज से राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जा रही है। उन्होंने कहा कि कोविड ड्यूटी पर रहते हुए जोखिम भत्ता और बीमा कवर की अपनी मांग और नियुक्तियों को नियमित करने की मांग को लेकर यह हड़ताल की जा रही है। योजना कार्यकर्ता महासंघ के संयुक्त मंच ने कहा है कि लाखों मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं। कई राज्यों में आशा कार्यकर्ता कोरोनोवायरस महामारी शुरू होने के बाद से ही अपनी काम करने की स्थिति और कम वेतन का विरोध कर रही हैं। अपने सामान्य काम और कोविड ड्यूटी के अलावा, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शहरी क्षेत्रों से कटे हुए, हाशिए के लोगों के दरवाजे तक भी कोविड -19 टीके लाकर भारत के टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ा रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं के एक मंच- महाराष्ट्र राज्य आशा गतप्रवर्तक कर्मचारी कृति समिति की एमए पाटिल ने कहा कि “यह आशा कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे संक्रमित रोगियों के करीबी संपर्कों को ट्रैक करें। साथ ही हर दिन उन्हें कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य संबंधी अपडेट भी रखने होते हैं। इसके बावजूद, उन्हें अपना कोविड -19 प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है।” किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में अगर किसी को स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती है तो वह सबसे पहले आशा वर्कर का ही रूख करता है। आशा कार्यकर्ताओं ने संस्थागत प्रसव में सहायता करके मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में मदद की है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चों के लिए सरकार के पोषण कार्यक्रम को चलाने की भूमिका भी निभाती हैं। वे घर-घर सर्वेक्षण, कॉन्ट्रैक्ट-ट्रैकिंग, जागरूकता अभियान चलाने और शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों में लौटने वाले प्रवासियों को खुद को सुनिश्चित करने से लेकर कई गतिविधियों को अंजाम दे रही हैं। चूंकि उन्हें स्वयंसेवक माना जाता है और ये पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं हैं, इसलिए उन्हें मानदेय मिलता है न कि निश्चित वेतन। ये जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की सर्व-महिला सेना है, जो कोविड -19, कुपोषण और विभिन्न टीकाकरण के खिलाफ भारत की लड़ाई में सबसे आगे रही है, न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा और पेंशन लाभ अर्जित करने के अपने अधिकार के लिए अब ये राष्ट्रव्यापी विरोध कर रही हैं।

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