उत्तराखण्ड
19 मई 2024
उत्तराखंड के माता सती के चार शक्तिपीठ धाम
प्रथम मां शक्तिपीठ धाम – मां चन्द्रबंदनी देवी का यह मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में जमनीखाल नामक एक छोटे से गांव में स्थित है। आस्था और भक्ति का स्थानए चंद्रबदनी मंदिर 2277 मीटर की ऊंचाई पर चंद्रबदनी पर्वत पर स्थित हैए जिसे इतिहास में चंद्रकूट पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। दूर.दूर से श्रद्धालु यहां देवी सती की पूजा करने और आशीर्वाद लेने आते हैं। माता के इस मंदिर में देवी सती का धड़ गिरा था।
द्वितीय मां शक्तिपीठ धाम – मां सुरकंडा देवी मन्दिर – माता का यह मंदिर जनपद में स्थित जौनपुर के सुरकुट पर्वत पर स्थित है। यह स्थान समुद्रतल से करीब 3 हजार मीटर ऊंचाई पर है। यहां माता का सिर गिरा था। इसलिए इसका नाम, सुरकंडा मंदिर पड़ा। यहां आपको पहुंचने के लिए 2.5 किमी की चढ़ाई करनी पड़ेगी। यहां से आपको बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री अर्थात चारों धामों की पहाड़ियां एक साथ नजर आएंगी।
तृतीय मां शक्तिपीठ धाम – मां नैना देवी मन्दिर इस मंदिर माता के नेत्र गिरे थे। इसलिए इस मंदिर का नाम नैना देवी पड़ा। यहां माता के दो नेत्रों की पूजा होती है। समुद्र तल से 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के समीप ही में एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आकर माता नैना देवी के दर्शन करते हैं।
चतुर्थ मां शक्तिपीठ धाम – मां पूर्णागिरी देवी – पूर्णागिरी मंदिर, समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर, पूर्णागिरी पर्वत पर विराजमान है उत्तराखंड के टनकपुर से लगभग 17 किमी दूर है। मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर सती माता की नाभि गिरी थी। पूर्णागिरी को पुण्यगिरि के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर शारदा नदी के पास स्थित है। पूर्णागिरी मंदिर अपने चमत्कारों के लिए भी खासा जाना जाता है।