उत्तराखण्ड
3 जुलाई 2021
कौन होगा नया मुख्यमंत्री जारी बैठक के बाद नए सीएम पर लगेगी मुहर
देहरादून। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के साथ ही राज्य के सियासी गलियारों में उस चेहरे की चर्चाऐं तेज होने लग गई हैं जिसके सिर प्रदेश की सत्ता का ताज सजेगा। आज दोपहर तीन बजे बीजेपी विधायक मंडल दल की बैठक में राज्य के नए सीएम पद के दावेदार के नाम का ऐलान होना है। सियासी हलकों में जिन विधायकों के नामों की चर्चा तेजी से हा रही है , उनमें सबसे आगे कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, राज्यमंत्री डॉ.धन सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल, पुष्कर सिंह धामी के नाम चर्चाओं में हैं।
दोपहर तीन बजे बीजीपे विधायक दल की बैठक, नए सीएम पर लगेगी मुहर
प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के मुतातिबक नए नेता का चयन करने के लिए शनिवार को पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है. शनिवार को अपराह्न तीन बजे बुलाई गई इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रदेश अध्यक्ष कौशिक करेंगे जबकि केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और बीजेपी महासचिव व उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत गौतम मौजूद रहेंगे. उन्होंने बताया कि पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दे दी गयी है।
पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की बेटी के नाम की भी चर्चा
महिला दावेदार के रूप में बीजेपी विधायक व पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी और राज्यमंत्री रेखा आर्य के नामों की भी चर्चा है। वहीं तीरथ से पहले सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत को दोबारा सत्ता सौंपने की भी चर्चाए तेज हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रदेश की कमान संभालने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को मजबूत दावेदारों के तौर पर देखा जा रहा है.
तीरथ की विदाई, आज बीजेपी विधायक दल के नए नेता का होगा ऐलान
इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया. अब शनिवार यानी आज को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक दल की बैठक में वर्तमान विधायकों में से ही किसी को विधायक दल का नेता चुना जाएगा. दिल्ली से लेकर देहरादून तक दिन भर चली मुलाकातों और बैठकों के दौर के बाद रावत ने रात करीब साढ़े गयारह बजे अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा। इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री रावत ने संवाददाताओं को बताया कि उनके इस्तीफा देने का मुख्य कारण संवैधानिक संकट था, जिसमें निर्वाचन आयोग के लिए चुनाव कराना मुश्किल था . उन्होंने कहा, श्संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए मैंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा।
क्या थी तीरथ की मजबूरियां और चुनौती
रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने उन्हें उच्च पदों पर सेवा करने का मौका दिया. पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह माह के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो। यही कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई. क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पायीं।
यह पूछे जाने पर कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए प्रदेश में अप्रैल में हुआ सल्ट उपचुनाव उन्होंने क्यों नही लड़ा, मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय वह कोविड से पीड़ित थे और इसलिए उन्हें इसके लिए समय नहीं मिला।
मुख्यमंत्री रावत के साथ मौजूद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, श्निर्वाचन आयोग ने कहा कि उपचुनाव नहीं करा पाएंगे. इसलिए हम लोगों ने उचित समझा कि संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न न हो।