उत्तराखण्ड
निगम बैठकों में पार्षद पतियों की नो-एंट्री
4 फरवरी 2020
काशीपुर। नगर निगम की बोर्ड और कार्यसमिति बैठक में पार्षद पति नहीं बैठ सकेंगे। मेयर ऊषा चैधरी ने बैठकों में पार्षद पतियों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने कहा जनता ने यदि महिला को अपना जनप्रतिनिधि चुना है, तो उसकी ही जवाबदेही होगी और वह ही वार्ड की समस्या रख सकेंगी।काशीपुर नगर निगम क्षेत्र में 40 पार्षद हैं। जिसमें से 15 महिला पार्षद अपने-अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करती हैं। लेकिन, अधिकांश बोर्ड और कार्यसमिति बैठक में महिला पार्षद के पति प्रतिनिधि के रूप में पहुंचते हैं और वह वार्ड की समस्या रखते हैं। जिस पर मेयर ने पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही उन्होंने निगम के सभी अनुभागों को निर्देश जारी किए हैं, अब किसी भी पार्षद पति से विकास कार्य या अन्य मामलों के पत्र और प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए जाए। यदि कोई प्रस्ताव या पत्र देना है तो महिला पार्षद को स्वयं आना होगा। साथ ही बैठक में भी महिला पार्षद ही आएंगी न की उनके पति। बता दें कि समय-समय पर होने वाली पार्षद बैठक में महिला पार्षद की संख्या काफी कम रहती है। उनके स्थान पर उनके पति प्रतिनिधित्व करते हैं और प्रस्ताव एवं वार्ड की समस्या रखते हैं। वहीं, पार्षद पति ही निगम में दिनभर इधर-उधर विभागों में काम कराते दिखाई देते हैं। मेयर चैधरी ने कहा निगम अधिनियम के मुताबिक जो भी वार्ड पार्षद होगा, वह ही बैठक में भाग ले सकता है। उन्होंने कहा जब जनता ने महिला को अपना जनप्रतिनिधि चुना है तो उसे ही सम्मान दें और काम करने दें। लेकिन अधिकांश महिला पार्षद घर पर रहती हैं और उनके पति बैठक में आते हैं। इसलिए भविष्य में होने वाली बैठकों में महिला पार्षद पतियों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
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