उत्तराखण्ड
9 जून 2025
पहली बार डिजिटल माध्यम से होगी जनगणना -पहले चरण में उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख
देहरादून। भारत सरकार जातीय जनगणना की तारीखों की ऐलान कर चुकी है. देश में दो चरणों में जनगणना कराई जाएगी. पहले चरण में उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख है. पहले चरण की जनगणना अक्टूबर 2026 में होगी, बाकी के राज्यों में दूसरे चरण में 2027 में होगी. वहीं उत्तराखंड में दो चरणों में जनगणना कराई जाएगी, जिसको लेकर सरकार ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है.
साल 2027 में प्रस्तावित जनगणना कई मायने में बेहद खास रहने वाली है. क्योंकि इस बार भारत सरकार जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया है. साथ ही इस जनगणना में डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. यानी जनगणना के लिए जानकारी एकत्र करने आने वाले कर्मचारी लोगों की जानकारी ऑनलाइन ही अपडेट करते दिखाई देंगे. ऐसे में जनगणना को लेकर जनगणना कार्य मंत्रालय ने तैयारियां भी शुरू कर दी है.
दरअसल, जनगणना से संबंधित तमाम तैयारियां करनी होती है, जिसके तहत जनगणना करने वाले कर्मचारियों को एकत्र करने के साथ ही उनकी ट्रेनिंग भी करानी होती है. विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड राज्य में दो फेज में जनगणना का कार्य संपन्न कराया जाएगा.
उत्तराखंड के तीन जिलों के तीन टाउन में पहले फेज में जनगणना की जाएगी, जिसमें उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री टाउन, रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ टाउन और चमोली जिले के बदरीनाथ टाउन शामिल है. इन तीनों टाउन में करीब 150 गांव आते है, जो स्नो बाउंड क्षेत्र है. ऐसे में इन क्षेत्रों में पहले चरण में जनगणना किया जाएगा.
उत्तराखंड के इन तीनों टाउन के साथ ही देश के अन्य स्नोबाउंड क्षेत्र में भी पहले चरण यानी 11 सितंबर से 30 सितंबर 2026 के बीच जनगणना की जाएगी. इसके बाद एक अक्टूबर से 5 अक्टूबर 2026 तक जनगणना रिवीजन का कार्य किया जाएगा. इसके बाद जनगणना के दूसरे फेज 9 फरवरी से 28 फरवरी 2027 तक प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में जनगणना का कार्य किया जाएगा. इसी दौरान देश के अन्य राज्यों पर भी जनगणना के कार्य किए जाएंगे.
जनगणना संपन्न होने के बाद जनगणना रिवीजन का काम एक मार्च से 5 मार्च 2027 तक चलेगा. ऐसे में जनगणना का कार्य देश भर में पूरा होने के बाद जनगणना की अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी. इसके बाद करीब 6 महीने में जनगणना की अंतिम रिपोर्ट जारी की जा सकती है.
साल 2027 में होने वाले जनगणना की रिपोर्ट जल्द जारी होने की संभावना इस वजह से भी है. क्योंकि इस जनगणना में डिजिटल का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाएगा और घर-घर जनगणना करने जाने वाले कार्मिक मौके पर ही लोगों की जानकारियां ऑनलाइन अपलोड करेंगे.
वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड स्थित जनगणना कार्य निदेशालय के संयुक्त निदेशक शैलेंद्र नेगी ने बताया कि भारत सरकार ने जनगणना करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत उत्तराखंड राज्य में भी जनगणना की जाएगी. जनगणना में पहले ष्मकान सूची एवं मकानों की गणना होगी और दूसरा पॉपुलेशन की गणना शामिल है. ऐसे में उत्तराखंड में मकान सूची एवं मकानों की गणना 1 मई से 15 जून 2026 की जाएगी.
उसके बाद लोगों के गणना का कार्य 9 फरवरी से 28 फरवरी 2027 के बीच होगी. लेकिन उत्तराखंड में तीन टाउन ऐसे हैं, जो फरवरी महीने के दौरान बर्फ से ढके रहते हैं, जिसके चलते प्रदेश के तीन टाउन यानी 150 गांव में जनगणना का कार्य 11 सितंबर से 30 सितंबर 2026 के बीच कर लिया जाएगा.
जनगणना में 28 हज़ार कर्मचारियों की जरुरत पड़ेगी- साथ ही बताया कि साल 2011 में हुए जनगणना के दौरान प्रदेश में करीब 24 हज़ार कर्मचारियों की जरूरत पड़ी थी, लेकिन अभी तक प्रदेश की जनसंख्या काफी बढ़ गई है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि आगामी जनगणना के दौरान करीब 28 हज़ार से अधिक कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी. इन सभी कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी दी जानी होती है, ताकि जनगणना का कार्य सही ढंग से संपन्न कराया जा सके.
जिलाधिकारी पर होगी बड़ी जिम्मेदारी- ऐसे में उत्तराखंड में कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने का काम दिसंबर 2025 से मार्च 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही बताया कि जनगणना में बड़ी संख्या में कर्मचारियों की जरूरत होती है. ऐसे में हर जिले में जनगणना की जिम्मेदारी उस जिले के जिलाधिकारी की होती है, क्योंकि जनगणना के दौरान जिलाधिकारी को जिला जनगणना अधिकारी बनाया जाता है. ऐसे में तहसील के अधिकारियों को चार्ज अधिकारी बनाया जाता है. इसके साथ ही सुपरवाइजर और प्रगणक बनाए जाते है.
जनगणना के कार्यों में लगाए जाने वाले सभी कर्मचारी सरकारी होते है. ऐसे में जनगणना के लिए सभी कर्मचारियों को मानदेय भी दिया जाता है. साथ ही जनगणना के लिए जिलाधिकारी को जिला जनगणना अधिकारी, तहसीलदार को चार्ज अधिकारी और नगरीय अधिकारियों को चार्ज अधिकारी नियुक्त किया जाता है. इसके नीचे सुपरवाइजर की तैनाती की जाती है और फिर प्रगणक होते है, जो घर-घर जाकर जनगणना के काम को करते है.
डिजिटल माध्यम से जनगणना- साथ ही बताया कि पहली बार डिजिटल माध्यम से जनगणना होने जा रहा है, जबकि पहले पेपर के जरिए जनगणना का कार्य होता था. डिजिटल जनगणना होने से जनगणना के आंकड़े जल्दी मिल जाएंगे. आगामी जनगणना के दौरान डिजिटल जनगणना को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. अगर कोई प्रगणक डिजिटल जनगणना नहीं कर पाता है तो उसे पेपर के जरिए जनगणना करने की अनुमति होगी. लेकिन कर्मचारी डिजिटल जनगणना करते है तो उनको अलग से इनसेंटिव भी दिए जाने का प्रावधान रखा गया है.
ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कर्मचारी डिजिटल जनगणना पर विशेष ध्यान देंगे. साथ ही बताया कि डिजिटल जनगणना किए जाने से न सिर्फ समय की बचत होगी बल्कि गलतियां भी कम होने की संभावना रहेगी.
उत्तराखंड राज्य में जनगणना की तैयारी शुरू होने के साथ ही दिसंबर 2025 के बाद प्रदेश में कोई भी नया टाउन नहीं बनाया जा सकेगा. क्योंकि अगर नया टाउन बनाया जाता है तो फिर जनगणना का कार्य प्रभावित होने की संभावना रहती है. जिसके चलते भारत सरकार की ओर से नया टाउन बनाने पर रोक लगा दी जाती है.