नीरज ठाकुर
उत्तराखंड
3 नवंबर 2023
प्रदेश में निकाय चुनावों की गतिविधियां तेज
देहरादून। प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर अभी तक सिस्टम सुप्त अवस्था में रहा, लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से निकाय चुनाव को लेकर की जा रही तैयारियों पर सवाल पूछा तो सिस्टम हरकत में आ गया।
उत्तराखंड में शहरी विकास विभाग के 93 निकायों का वार्ड परिसीमन तय करने के साथ ही निकाय चुनावों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग सभी निकायों में मतदाता सूची बनाने का कार्यक्रम जारी कर चुका है। इस बीच, एकल सदस्यीय वर्मा आयोग भी एक माह में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का खाका खींचकर, उत्तराखंड सरकार को सौंपने की तैयारी कर रहा है।
किस निकाय में ओबीसी के खाते में कुल कितने वार्ड आएंगे, इसी तरह निकायवार अध्यक्षों और मेयरों की कुल कितनी सीटें ओबीसी आरक्षित होंगी, इसका निर्धारण इस बार एकल सदस्यीय जस्टिस बीएस वर्मा आयोग करेगा। आयोग इसी क्रम में सभी निकायों में ओबीसी आबादी का सर्वे करवा चुका है।
अब इन आंकड़ों का मिलान, 2011 की आबादी के आंकड़ों से किया जा रहा है। आयोग को अब सिर्फ टिहरी और उत्तरकाशी जिले में जनसुनवाई करनी है, जो दिवाली से पहले होने की उम्मीद है। इसके बाद आयोग एक माह के अंदर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप देगा। आयोग सूत्रों के मुताबिक आयोग इसके लिए अपनी अंतिम चरण की तैयारी प्रारंभ कर चुका है।
आयोग अपनी रिपोर्ट में सिर्फ आरक्षित सीटों की संख्या बताएगा, ओबीसी के खाते में आने वाली अंतिम सीट का निर्धारण पहले की तरह सरकार करेगी। इसमें वार्डवार आरक्षण शहरी विकास निदेशालय जबकि अध्यक्ष और मेयरों का आरक्षण शासन स्तर से तय किया जाता है।
आधी सीटें रखनी होंगी अनारक्षित
आरक्षण की ऊपरी सीमा अधिकतम 50 प्रतिशत है, यानि निकाय में आधी सीटें अनारक्षित रखनी होंगी। शेष 50 प्रतिशत सीटों में एससी-एसटी की सीटों को घटाकर, बची सीटों पर आबादी के अनुसार ओबीसी आरक्षण प्रदान किया जाएगा।
इसमें भी 2011 के जनगणना के आंकड़े मुख्य आधार होंगे। चूंकि इसी आंकड़ों के आधार पर राज्य में दो बार निकाय चुनाव हो चुके हैं, इस कारण ओबीसी आरक्षण में बहुत अधिक बदलाव आने की संभावना नहीं है। अभी प्रत्येक निकाय में ओबीसी के खाते में 14 प्रतिशत सीटें आती हैं।