गुजरात
27 फरवरी 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किये समंदर में डूबी प्राचीन द्वारका नगरी के दर्शन
द्वारिका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में समंदर में डूबी प्राचीन द्वारका नगरी के दर्शन किये. डाइविंग हेलमेट पहने प्रधानमंत्री, नौसेना के गोताखोरों की मदद से समंदर के अंदर गए और पूजा-अर्चना की.
द्वारका, हिंदू धर्म के चार सबसे पवित्र तीर्थस्थलों या चारधाम में से एक है. पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन द्वारका नगरी खुद भगवान श्रीकृष्ण ने बसाई थी. जो एक वक्त के बाद समंदर में समा गई. द्वारकाधीश मंदिर के पुजारी मुरली ठाकर बीबीसी से कहते हैं कि द्वारका 84 किलोमीटर में फैली दुर्गनुमा सिटी थी, जो गोमती नदी और अरब सागर के संगम के तट पर बसी थी.
पानी में डूबी द्वारका का पता कैसे चला?
प्राचीन द्वारका नगरी, कुछ दशक पहले तक काल्पनिक मानी जाती थी. पहली बार भारतीय वायु सेना के पायलटों की नजर, द्वारका के समुद्री अवशेष पर पड़ी, जो समुद्र में बहुत नीचे से उड़ान भर रहे थे. 1970 के जामनगर के गजेटियर में इस बात का उल्लेख मिलता है. आर्कियोलॉजिस्ट कहते हैं कि बीसवीं सदी के मध्य में पहली बार द्वारका नगरी को ढूंढने का प्रयास हुआ. 1960 के दशक में पहली बार डेक्कन कॉलेज पुणे ने यहां खुदाई की. 1979 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने एक और खुदाई की. जिसमें कई तरह के पात्र, घड़े, मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े और कई दूसरे अवशेष मिले. जिससे एक उम्मीद जगी. पुरातत्व विभाग के मुताबिक इस खुदाई में 500 से ज्यादा चीजें मिलीं, जिनकी डेटिंग से पता लगा कि यह 2000 साल से ज्यादा पुरानी हैं. पानी के अंदर पत्थर के बड़े-बड़े कॉलम, अवशेष जैसी चीजें मिलीं.
साल 2007 की खुदाई से बदला इतिहास
साल 2007 में पहली बार द्वारका में बड़े पैमाने पर खुदाई की गई. 200 मीटर के एरिया में खुदाई शुरू हुई. फिर 50 मीटर का एरिया ऐसा मिला, जहां ज्यादा चीजें मिल रही थीं. इसके बाद दो नॉटिकल मील का हाइड्रोग्राफिक सर्वे किया गया, जिससे पता चला कि उस खास जगह नदी का प्रवाह लगातार बदल रहा है. इसके बाद उस जगह की ग्रेडिंग की गई और बाकायदा एक-एक ग्रेड की खुदाई और सर्वे शुरू हुआ. इस खुदाई में पिलर, सिक्के, पात्र, बड़े-बड़े कॉलम जैसी चीजें मिलीं. तमाम पत्थरों पर समुद्री घास जम गई थी. जब उन्हें हटाया गया तो वास्तविक आकार का पता चला.
द्वारका की खुदाई में कई बड़े-बड़े लंगर पाए गए, जिससे यह साफ हो गया कि द्वारका एक ऐतिहासिक बंदरगाह शहर था. कुछ आर्कियोलॉजिस्ट कहते हैं कि संस्कृत में द्वारका शब्द का मतलब श्द्वारश् या श्दरवाजाश् होता है. द्वारका की खुदाई में जैसी चीजें मिली हैं, उससे प्रतीत होता है कि यह प्राचीन बंदरगाह शहर भारत आने वाले विदेशी नागरिकों के लिए कभी दरवाजे की तरह था. खासकर 15वीं से 18वीं शताब्दी के बीच अरब देशों से व्यापारिक संपर्क में अहम भूमिका निभाई होगी.
तो समंदर में कैसे डूबी द्वारका नगरी?
राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के पूर्व चीफ साइंटिस्ट डॉ. राजीव निगम बीबीसी ट्रेवेल से बातचीत में कहते हैं कि जब यह साफ हो गया कि समंदर के नीचे शहर का अवशेष है तो हमने यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर यह डूबा कैसे होगा. पिछले 15000 साल के दौरान समुद्र के स्तर की पड़ताल की. इससे पता चला कि 15000 साल पहले समुद्र का स्तर, 100 मीटर नीचे हुआ करता था. 7000 साल पहले समुद्र का जल स्तर बढ़ना शुरू हुआ और करीब 3500 साल पहले समुद्र का स्तर, ऐसे लेवल पर पहुंच गया, जहां अभी है और ठीक इसी वक्त द्वारका नगरी डूबी होगी