उत्तराखण्ड
2 मार्च 2025
बरकत का महीना माह-ए- रमजान शुरू
काशीपुर। चांद के दीदार के साथ रहमत, बरकत का महीना माह-ए- रमजान शुरू हो गया है. ईशा की नमाज के बाद शनिवार देर रात से सभी मस्जिदों और घरों के अंदर तरावीह की नमाज का सिलसिला शुरू हो जाएगा. इस दौरान सभी रोजेदार अपने साथ-साथ देश की खुशहाली की दुआ मांगेंगे.
बता दें कि रमजान में रोजा रखना सबसे महत्वपूर्ण है. इस महीने के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्याेदय से सूर्यास्त तक कुछ नहीं खाते-पीते हैं. इसके बाद पानी के साथ खजूर खाकर अपना रोजा खोलते हैं. इफ्तार के रूप में इस पवित्र समय की एक बड़ी दावत होती है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य और करीबी लोग शामिल होते हैं. वहीं जो लोग अस्वस्थ या किसी यात्रा पर हैं उनके लिए यह व्रत इतना जरूरी नहीं हैं.
दरअसल, रमजान के 30 दिनों को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहले 10 दिन रहमत, दूसरे 10 दिन बरकत और तीसरे यानी आखिरी 10 दिन मगफिरत के लिए होता है, जो लोग रोजा रखते हैं उनके लिए यह बेहद खास समय होता है. इस दौरान नमाज अदा करना, जकात, सदका आदि करना बहुत ही जरूरी होता है. वहीं पहला रोजा रविवार से शुरू होगा, जिसको लेकर मुस्लिम समुदाय ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. इसी के साथ सोशल मीडिया पर लोग माह-ए रमजान के मुबारकबाद भरे मैसेज भेजकर एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं.
मुस्लिम धर्म गुरु ने बताया कि रोजा अच्छी जिंदगी जीने का जरिया यानी प्रशिक्षण है. जिसमें इबादत कर खुदा की राह पर चलने वाले इंसान का जमीर यानी अंतरात्मा रोजेदार को एक नेक इंसान के व्यक्तित्व के लिए जरूरी हर बात की तरबियत अच्छे संस्कार देता है. इसी के साथ उन्होंने माह-ए रमजान की मुबारकबाद देते हुए बताया कि रोजे रखने का असल मकसद महज भूख प्यास पर नियंत्रण रखना ही नहीं बल्कि रोजे की रूह दरअसल आत्म संयम, नियंत्रण, अल्लाह के प्रति अकीदत और सही राह पर चलने के संकल्प हैं.