बीकानेर के हॉस्पिटल में एक माह मे 162 बच्चे काल के गाल में समा गए

Spread the love

राजस्थान
5 जनवरी 2020
बीकानेर के हॉस्पिटल में एक माह मे 162 बच्चे काल के गाल में समा गए
कोटा। बच्चों की मौत के मामले में बीकानेर के पीबीएम शिशु हॉस्पिटल ने कोटा के जेके लोन को भी पीछे छोड़ दिया है. कोटा में जहां 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हुई, वहीं बीकानेर के हॉस्पिटल में दिसंबर में 162 बच्चे काल के गाल में समा गए। इन आंकड़ों का मतलब यह है कि हर दिन पांच से ज्यादा बच्चों की मौत हो रही है. महज दिसंबर की ही बात करें तो इस हॉस्पिटल में जन्मे और बाहर से आए 2219 बच्चे पीबीएम शिश हॉस्पिटल में भर्ती हुए. इन्हीं में से 162 यानी 7.3 फीसदी बच्चों की मौत हो गई. पूरे साल की बात करें तो जनवरी से दिसंबर तक यहां कुल 1681 बच्चों की मौत हो चुकी है।
सबसे ज्यादा मौतें नियोनेटल केयर यूनिट में
220 बैड के पीबीएम शिशु हॉस्पिटल में 140 बैड जनरल वार्ड के हैं, वहीं 72 बैड नियोनेटल केयर युनिट यानी नवजात बच्चों की देखभाल के लिए हैं. सबसे ज्यादा मौत इन्हीं बच्चों की हो रही है. मौत का आंकड़ा उजागर होने के बाद सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एचएस कुमार ने बताया कि ने ज्यादातर मौतें उन नवजात बच्चों की होती हैं, जो गंभीर हालत में गांवों से रैफर होकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल तक पहुंचते हैं. यहां पहुंचने पर हालत इतनी गंभीर होती है कि उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है।
जिला कलक्टर ने भी जांची थी असुविधाएं
डॉ कुमार ने बताया कि जननी सुरक्षा योजना व अन्य लाभकारी योजनाओं के चलते दूरदराज के गंभीर बच्चे संभाग के एकमात्र पीबीएम अस्पताल में बने आईसीयू के लिए रेफर कर दिए जाते हैं. पीबीएम के डॉक्टर उनका समुचित इलाज करने का प्रयास करते हैं, फिर भी गंभीर बच्चों की मौत हो जाती है. उन्होंने इन मौतों के पीछे अस्पताल की किसी भी लापरवाही को कारण नहीं माना, जबकि दूसरी ओर एक दिन पहले ही बीकानेर जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने जब पीबीएम के शिशु अस्पताल का दौरा किया तो वहां उन्हें अनेक अव्यवस्थाएं देखने को मिली. इस पर उन्होंने डॉक्टरों को लताड़ भी लगाई।
एक-एक बेड पर दो-दो बच्चे
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी अब इस मुद्दे को तूल देने में लग गई है. भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पीबीएम अस्पताल का निरीक्षण किया और वहां एक बेड पर दो-दो बच्चों के इलाज होने को अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही बताया. जनरल वार्ड में देखने को मिला कि भर्ती बच्चों की बेडशीट काफी गंदी हो चुकी है, तो उन्हें रात को सर्दी से बचाव के लिए ओढ़ने के लिए कंबल भी नहीं दिए जा रहे. फिलहाल इस पड़ताल के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने चुप्पी साध ली है और हर कोई अस्पताल की व्यवस्थाएं चाक-चैबंद दिखाने का प्रयास कर रहा है।




जुड़े रहिये हमारे साथ ऐसी ही ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए

अन्य ख़बरों की जानकारी के लिए हमें फेसबुक पर ज्वाइन करें और ट्विटर पर फॉलो करें

कमेंट में बताएं और न्यूज शेयर करें

Suryavansham Times



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *