बुखार का प्रकोप अस्पतालों की इमरजेंसी में बेड को लेकर मारामारी

बुखार का प्रकोप अस्पतालों की इमरजेंसी में बेड को लेकर मारामारी

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उत्तर प्रदेश
1 नवम्बर 2022
बुखार का प्रकोप अस्पतालों की इमरजेंसी में बेड को लेकर मारामारी
लखनऊ। बुखार का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। लखनऊ में सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में बेड को लेकर मारामारी मची है। मेडिसिन वार्ड के 90 से 95 फीसदी बेड फुल हैं। कई अस्पतालों में तो जनरल सर्जरी विभाग में भी बुखार के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। मरीजों का दबाव बढ़ने से ओपीडी की सेवाएं भी लड़खड़ा गई हैं। डॉक्टर की सलाह से लेकर जांच व दवा के लिए मरीजों को एक से दो घंटे कतार में लगना पड़ रहा है।

बुखार ने मरीजों को बेदम कर दिया है। तेज बुखार से तप रहे मरीजों के शरीर में भीषण दर्द हो रहा है। कई मरीजों के जोड़ों में सूजन भी है। थकान और कुछ भी खाने का मन नहीं कर रहा है। जांच में डेंगू व मलेरिया की पुष्टि नहीं हो रही है। चौकाने वाली बात यह है कि बुखार में तेजी से प्लेटलेट्स काउंटर कम हो रहा है। साथ ही शरीर में संक्रमण के खतरें को बताने वाले टीएलसी में भी घट रही है।

केजीएमयू मेडिसिन विभाग के डॉ. केके सावलानी बताते हैं कि बुखार संग शरीर में भीषण दर्द और जोड़ों में सूजन चिकनगुनिया के लक्षण हैं। ज्यादातर मरीज बुखार आने के दो से तीन दिन में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया समेत दूसरी जांच करा रहे हैं। जबकि चिकनगुनिया की सटीक पहचान बुखार आने के कम से कम एक सप्ताह बाद होती है। लिहाजा डॉक्टर की सलाह पर जांच कराएं। वे बताते हैं कि चिकनगुनिया भी कई मरीजों में देखने को मिला है। डॉ. सावलानी बताते हैं कि डेंगू के मुकाबले चिकनगुनिया कम घातक है। पर, इसमें बदन दर्द बहुत होता है। 10 से 15 दिन में मरीज को राहत मिलती है।

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