माँ पूर्णागिरि मेला 9 मार्च से शुरू

मां पूर्णागिरि मेले का आगाज, मेले में उमड रही भीड़

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उत्तराखण्ड
19 मार्च 2022
मां पूर्णागिरि मेले का आगाज, मेले में उमड रही भीड़
टनकपुर। हर साल की तरह इस बार भी होली के अगले दिन लगने चंपावत जनपद के टनकपुर में स्थित मां पूर्णागिरि मेले का आगाज होने जा रहा है. स्थानीय प्रशासन ने मेला संचालन को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. 19 मार्च शनिवार यानी आज में कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत विधिवत पूजा अर्चना कर मेले का शुभारंभ करेंगे. मां पूर्णागिरी मेला 19 मार्च यानी आज से 15 जून तक चलेगा.चंपावत जनपद के टनकपुर में लगने वाले मां पूर्णागिरि मेले का आयोजन टनकपुर तहसील प्रशासन, मां पूर्णागिरी मंदिर समिति व जिला पंचायत चंपावत के द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है. मां पूर्णागिरि मेला मजिस्ट्रेट व पूर्णागिरी तहसील के उप जिलाधिकारी हिमांशु कफल्टिया के अनुसार लगभग तीन माह की अवधि तक लगने वाले मां पूर्णागिरि मेले की सभी तैयारियां प्रशासन द्वारा पूरी कर ली गई हैं।

पूर्णागिरी धाम चम्पावत जनपद के टनकपुर कस्बे से 24 किमी दूर अन्नपूर्णा चोटी पर मां का धाम बसा है। मां के 52 शक्तिपीठों में एक पीठ यह भी है। माता सती की यहां पर नाभि गिरी थी। 1632 में श्रीचंद तिवारी ने यहां पर मंदिर की स्थापना की और माता की विधिवत पूजा अर्चना शुरू की। मान्यता है कि सच्चे मन से धाम में जो भी अपनी मन्नत मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है। किवदंती है कि जब सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर स्वयं को जला डाला तो भगवान शिव उनके पार्थिव शरीर को आकाश मार्ग से ले जा रहे थे तो अन्नपूर्णा चोटी पर जहां नाभि गिरी उस स्थल को पूर्णागिरि शक्तिपीठ के रूप में पहचान मिली।

कहा जाता है कि संवत 1621 में गुजरात के श्री चंद तिवारी यमनों के अत्याचार के बाद जब चम्पावत के चंद राजा ज्ञान चंद के शरण में आए तो उन्हें एक रात सपने में मां पूर्णागिरि ने नाभि स्थल पर मंदिर बनाने का आदेश दिया और 1632 में धाम की स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू हुई। तब से ही यह स्थान आस्था, भक्ति और श्रद्धा की त्रिवेणी बना हुआ है।

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