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उत्तराखण्ड
24 दिसम्बर 2020
राज्य में बिजली दरों में दस प्रतिशत बढोत्तरी
देहरादून। राज्य में ऊर्जा निगम ने उत्तराखंड में बिजली दरों में करीब दस प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया है। इसे अंतिम रूप यूपीसीएल बोर्ड बैठक में दिया जाएगा। यहां बोर्ड की मुहर के बाद मंजूरी के लिए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग भेजा जाएगा। आयोग जनसुनवाई प्रक्रिया के बाद इसे फाइनल करेगा। इस बार आयोग को प्रस्ताव भेजने में एक महीने की देरी हो गई है। हर साल नंवबर अंतिम सप्ताह तक प्रस्ताव भेजा जाता था। इस बार ऐसा नहीं हो सका है। अभी भी नई दरों के प्रस्ताव को बोर्ड के समक्ष रखने की तैयारी चल रही है। 24 दिसंबर को बोर्ड बैठक इसी प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए बुलाई गई है। बोर्ड के सभी सदस्य प्रस्ताव को जांच परख कर फाइनल करेंगे। यूपीसीएल के प्रस्ताव पर आयोग पूरे राज्य में जन सुनवाई करेगा। आम जनता, उद्योगों, कॉमर्शियल समेत सभी पक्षों से आपत्ति-सुझाव लिए जाएंगे। इसके बाद मार्च अंतिम सप्ताह में नई बिजली दरों पर अंतिम मुहर लगेगी, जो एक अप्रैल से लागू हो जाएंगी। ऊर्जा निगम की ओर से सालाना सभी खर्चों की जानकारी प्रस्ताव की शक्ल में आयोग को उपलब्ध कराई जाती है। इस खर्चे के ब्योरे की आयोग की टीम पड़ताल करती है। यूपीसीएल के गैर जरूरी खर्चों और इंजीनियरों की लापरवाही के कारण पड़ने वाले भार का असर आम जनता के ऊपर नहीं डाला जाता। यही वजह है कि वर्ष 2020-21 के लिए आयोग ने यूपीसीएल के 7.70ः बढ़ोतरी के प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया। निगम का कहना है कि राज्य में यदि बिजली चोरी पूरी तरह से रुके तो बिजली दरें सस्ती हो सकती हैं। राज्य में सालाना लाइन लॉस से ऊर्जा निगम को 900 करोड़ का घाटा होता है। यदि साढ़े 13 प्रतिशत लाइनलॉस समाप्त हो तो दरें निचले स्तर पर आ सकती हैं। फर्नेश उद्योगों में न तो चोरी रोकी जा रही और न समय पर बिल वसूला जाता है।
मौजूदा दरें
घरेलू श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं को अभी बिजली औसत 4.44 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिल रही है। वहीं, कॉमर्शियल बिजली उपभोक्ताओं के लिए यही दर 6.38 रुपये है। एलटी श्रेणी के औद्योगिक उपभोक्ताओं को 6.03 रुपये और एचटी श्रेणी के उपभोक्ताओं को 6.06 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल रही है।