श्री राधा रानी जन्मोत्सव पर वृषभानु की नगरी अनुपम छटा बिखेर रही

श्री राधा रानी जन्मोत्सव पर वृषभानु की नगरी अनुपम छटा बिखेर रही

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उत्तर प्रदेश
31 अगस्त 2025
श्री राधा रानी जन्मोत्सव पर वृषभानु की नगरी अनुपम छटा बिखेर रही
बरसाना। बरसाना में जन्मोत्सव से पूर्व की रात वृषभानु की नगरी अनुपम छटा बिखेर रही थी। जैसे ही सांझ ढली, गलियां रंग-बिरंगी झालरों से जगमगा उठीं। हर चौक और मंदिर में राधे-राधे की ध्वनि गूंज उठी। लाडली जू के महल की ओर जाते श्रद्धालुओं के कदम और अधरों पर बधाई गीत, यह दृश्य मानो संपूर्ण नगर को भक्ति-रस में डुबो रहा था। सखियां भी शृंगार कर आल्हा और बधाई पदों पर थिरक उठीं। महिलाएं समूह बनाकर पद गातीं तो बच्चे ढोलक-करतल की ताल पर झूमते रहे।

हर ओर बधाई गीत बरसाने बजी है बधाई, रानी कीरत ने लाली जाई, गूंज रहे थे। मथुरा से आए गोपेश शर्मा ने बताया कि हम पूरी रात जागते हैं, क्योंकि यही तो वह घड़ी है, जब हमारी लाडली धरा पर अवतरित होती हैं। इस आनंद में थकान का कोई अस्तित्व नहीं। वृंदावन से आईं सावित्री देवी ने भाव-विभोर होकर कहा कि जब गलियों में बधाई गूंजती है तो लगता है जैसे स्वयं राधारानी हमारे बीच आकर आशीष दे रही हों।

वहीं नंदगांव के हरिनारायण दास ने बताया कि इस भूमि पर कदम रखते ही मन भक्ति में डूब जाता है। राधा जन्मोत्सव हमारे जीवन का सबसे पावन पर्व है। आगरा से आए अनिरुद्ध पाठक ने कहा कि बरसाना की यह रात केवल उत्सव नहीं, यह तो आत्मा को छू लेने वाली अनुभूति है।

केवल गलियां ही नहीं, बल्कि वृक्ष, तालाब और पर्वत भी मानो इस उत्सव की गवाही दे रहे थे। मान्यता है कि बरसाना का हर कण राधा नाम में रचा-बसा है और इसी कारण जन्म की यह रात दिव्य ऊर्जा से सराबोर हो उठती है। ब्रजवासी कहते हैं कि इस रात्रि हवा की हर लहर में राधे-राधे की पुकार सुनाई देती है।

पूरा बरसाना मानो सांसें थामे लाडली जू के जन्मक्षण की प्रतीक्षा कर रहा था। नगरी की आभा, भक्तों की उत्कंठा और भक्ति की उमंग, इस रात को अविस्मरणीय बना रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो सम्पूर्ण वृषभानु नगरी अपनी रानी के अवतरण का स्वागत करने के लिए स्वयं ही सज-धजकर तैयार खड़ी हो। भक्तों का विश्वास है कि इस रात जागरण और भजन करने वाला हर साधक राधारानी की कृपा का अधिकारी बनता है। इसी भावना से लोग बिना थके, बिना रुके पूरी रात गाते-बजाते रहे।

श्रीजी मंदिर में जन्माभिषेक की तैयारियां परंपरागत विधियों के साथ सम्पन्न कर दी गईं। सेवायतों ने दूध, दही, शहद, घी, गोघृत, बूरा, केसर और गुलाब जल से पंचामृत बनाकर रसधारा सजा दी। चूंकि श्रीराधा का प्राकट्य मूल नक्षत्र में हुआ था, इसलिए परंपरा अनुसार 27 कुओं का जल, 27 वृक्षों की पत्तियां, 27 स्थानों की मिट्टी और औषधियों से गर्भगृह में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मूल शांति का अनुष्ठान सम्पन्न कराया गया।

सवा घंटे तक चलने वाले जन्माभिषेक स्नान की सारी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। अब 31 अगस्त की भोर में चार बजे लाडलीजी का जन्माभिषेक होगा। उस मंगल बेला में पंचामृत और मेवों से स्नान के उपरांत जब शृंगार आरती में पर्दा उठेगा, तब वृषभानु दुलारी पीतवर्णी स्वर्ण और रत्नजड़ित पोशाक में सुसज्जित होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगी। संवाद

राधाष्टमी पर्व पर बरसाना की धरती बधाइयों की गूंज से जीवंत हो उठी। नंदगांव से सेवायतों की टोलियां बधाई लेकर बरसाना पहुंचीं। बाबा नंद और यशोदाजी की ओर से आए इन सेवायतों ने श्रीजी मंदिर पहुंचकर राधारानी के जन्मोत्सव की बधाई दी।

मंदिर में फूल बंगला और छप्पन भोग के दर्शनों का भव्य आयोजन हुआ। बरसानावासियों ने भक्ति-भाव से आए सेवायतों का स्वागत भांग ठंडाई और प्रसाद देकर किया। पर्व की रौनक सखियों के शृंगार और भक्ति गीतों से और बढ़ गई। सखियां पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी गलियों में बधाई मांगते घूमती रहीं।

पंजाब से आईं राधिका दासी ने बताया कि उन्होंने जो साड़ी पहन रखी है, वह उनके गौने में मिली थी। जयपुर से मंगाई गई यह साड़ी उन्होंने विशेष रूप से आज बधाई मांगने के लिए पहनी है। उनका यह भावुक अनुभव सुन भक्तजन भी आनंदित हो उठे।

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