नई दिल्ली
4 मई 2021
सरकार पर बढ़ा दबाब सम्पूर्ण लाॅकडाउन की मांग
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बेकाबू रफ्तार से चल रही है। देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के साढ़े तीन लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। ये आंकड़ा करीब 50 देशों में एक दिन में मिले मामलों से भी ज्यादा है। दूसरी लहर में तेजी से फैल रहे संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए देशभर में लॉकडाउन की मांग की जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर पर जल्द से जल्द नियंत्रण के लिए एक बार फिर से संपूर्ण लाकडाउन लगाने की जरूरत पर बहस छिड़ गई है। आइए जानते हैं देशभर में लाकडाउन की मांग को लेकर किसने क्या-क्या कहा है। लाकडाउन से अर्थव्यवस्था किस तरह चरमराती है यह देश देख चुका है, लेकिन इस बार उद्योग जगत की तरफ से ही इसकी मांग की जाने लगी है। देश के सबसे बड़े उद्योग चैंबर सीआइआइ ने भी सरकार से आग्रह किया है कि वह देश में आम लोगों के कष्ट को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को सीमित करने का कदम उठाए। देश के छोटे व्यापारियों व खुदरा कारोबारियों का संगठन सीएआइटी पहले से ही लाकडाउन का समर्थन कर चुका है।
सरकार पर बढ़ रहा दबाव !
पिछली बार जब कोरोना वायरस ने देश में तेजी से पैर फैलाने शुरू किए थे तो सरकार की तरफ से लाकडाउन के फैसले की कड़ी आलोचना हुई थी। लेकिन इस बार बाहर से ही सरकार पर दबाव बढ़ाया जाने लगा है। इससे सरकार पर लाकडाउन पर विचार करने का दबाव बढ़ रहा है। हालांकि, पीएम मोदी से लेकर सरकार की ओर से सभी राज्यों से लाकडाउन से बचने की सलाह दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया लाकडाउन लगाने का सुझाव
एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह जनहित को ध्यान में रखते हुए लाकडाउन के विकल्प पर विचार करे ताकि कोरोना वायरस के विस्तार को रोका जा सके। कोरोना मामले पर सरकार की तैयारियों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम केंद्र व राज्य सरकारों से गंभीरता से आग्रह करते हैं कि वे किसी भी तरह की भीड़ एकत्रित होने या सुपर स्प्रेडर समारोहों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करें। वे आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए वायरस की दूसरी लहर के विस्तार पर रोक लगाने के लिए लाकडाउन पर भी विचार कर सकते हैं। जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का सुझाव देकर सरकार के लिए लाकडाउन पर फैसला करने का रास्ता आसान कर दिया है।