दिल्ली
31 अगस्त 2021
सीबीएसई ने बदला परीक्षा पैटर्न, अब बोर्ड परीक्षा दो चरण में
दिल्ली । देश में कोरोनाकाल को देखते हुए शिक्षा प्रणाली में लगातार बदलाव हो रहे हैं। पिछले साल कोरोना के चलते बोर्ड परीक्षा तक को रद करना पड़ गया था। इस साल ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए सीबीएसई ने परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव किया है। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की तर्ज पर इस सत्र में बोर्ड कक्षाओं के लिए दो चरण में परीक्षा होगी। नए पैटर्न के हिसाब से स्कूलों ने छात्रों की तैयारी करवाना शुरू कर दिया है। सीबीएसई की टर्म वन परीक्षा में बहुविकल्पीय यानि एमसीक्यू आधारित सवाल पूछे जाएंगे। परीक्षा के लिए छात्रों को 90 मिनट का समय दिया जाएगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर प्रश्नपत्र में 50 से 60 प्रश्न होंगे। हर प्रश्न का उत्तर देने के लिए डेढ़ मिनट होगा। दून इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य दिनेश बर्थवाल ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं के हिसाब से ही छात्रों को टाइम मैनेजमेंट के साथ बहुविकल्पीय प्रश्नों को हल करना सिखाया जा रहा है। मासिक परीक्षाओं का पैटर्न भी इसे ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
वहीं टर्म टू परीक्षा पुराने पैटर्न पर ही होगी, लेकिन परीक्षा के लिए तीन घंटे के बजाय दो घंटे का समय ही दिया जाएगा। दोनों टर्म परीक्षाओं से 50-50 फीसद अंक दिए जाने हैं। नए पैटर्न को नई शिक्षा नीति 2020 से जोड़कर भी देखा जा रहा है। शिक्षा मंत्रालय इस साल इस पैटर्न को ट्रायल के तौर पर भी देख रहा है।
स्कूल को होगी परीक्षा करवाने की सहूलियत
सीबीएसई की टर्म वन की परीक्षा नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित है। परीक्षा आयोजन के लिए एक महीने की विंडो खोली जाएगी। स्कूलों को अपनी क्षेत्रीय परिस्थिति एवं कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए परीक्षा कार्यक्रम तय करने की छूट होगी। प्रयोगात्मक विषयों के लिए निर्धारित पूर्णांक का 50 फीसद टर्म वन में आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर निर्धारित होगा। वहीं टर्म टू में प्रयोगात्मक विषयों के लिए पुराने पैटर्न के हिसाब से ही परीक्षक बोर्ड नियुक्त करेगा और लिखित परीक्षा में विस्तृत उत्तर वाले प्रश्न ही पूछे जाएंगे।
परीक्षा में शामिल नहीं होने वालों का नुकसान
सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल के निदेशक सुरेश डंडरियाल ने कहा कि नए परीक्षा पैटर्न को समझने के लिए छात्रों को नियमित प्रशिक्षण लेना होगा और स्कूल एवं शिक्षकों के संपर्क में भी रहना होगा। पढ़ाई और परीक्षा से जो छात्र दूर हैं, उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।