उत्तराखण्ड
04 जनवरी 2020
स्कूली बच्चों को अण्डे व केले के साथ फ्लेवर्ड मिल्क भी देने की योजना
देहरादून। साल 2020 में उत्तराखंड का शिक्षा विभाग बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ सेहत पर भी ध्यान देगा. प्रदेश में अब बच्चों को फ्लेवर्ड मिल्क भी दिया जाएगा हालांकि इसके लिए बच्चों को नए वित्त वर्ष यानी कि एक अप्रैल तक का इंतजार करना होगा. अभी तक स्कूली बच्चों को कुपोषण से दूर रखने के लिए पोषाहार के तौर पर हर शनिवार को अण्डे और केले दिए जाते हैं. अब इसके साथ ही फ्लेवर्ड मिल्क भी देने की योजना तैयार की गई है.
हफ्ते में 3 दिन मिलेगा दूध
अपर राज्य परियोजना निदेशक ने बताया कि आंचल डेयरी से लिए जाने वाले दूध को बच्चों को इस शिक्षण सत्र से हफ्ते में 3 दिन देने की योजना है. इसके लिए वित्तीय स्तर पर जो पेचीदगियां थीं उन्हें दूर किया जा चुका है। एससीईआरटी निदेशक का कहना है कि बच्चों के लिए अकादमिक तौर पर मजबूत करने काम तो किया ही जा रहा है साथ ही बच्चे फिजिकली भी फिट रहें इस पर भी शिक्षा विभाग नए साल में काम करेगा। मिड डे मील के तहत सुबह बच्चों को 200 मिलीलीटर दूध दिया जाएगा।
ये हैं फ्लेवर्स
सीमा जौनसारी ने बताया कि दूध पाउडर के जरिए स्कूल में ही तैयार किया जाएगा. इसके लिए पहले गर्म पानी किया जाएगा और फिर मिड-डे मील कर्मचारी उसमें 20 ग्राम पाउडर मिलाएंगे जो हर बच्चे को दिया जाएगा. यह दूध पांच तरह के फ्लेवर में होगा- इलायची, चॉकलेट, रोज, पाइनएप्पल और स्ट्रॉबेरी फ्लेवर.
सीमा जौनसारी ने बताया कि बच्चे को जो फ्लेवर पंसद होगा, उसी हिसाब से 200 एमएल दूध मिड डे मील में दिया जाएगा।
सती ने बताया कि इस पाउडर को बनने वाला दूध फैट रहित होगा. इसमें 64 प्रतिशत स्किम्ड दूध, 33 प्रतिशत शुगर और तीन प्रतिशत फ्लेवर होगा. बच्चों की ग्रोथ के लिए आवश्यक प्रोटीन, मिनरल और विटामिन भी इसमें होंगे। उन्होंने बताया कि 15 लीटर दूध तैयार करने के लिए साढ़े 14 लीटर पानी को गर्म करने के बाद गुनगुना होने पर उसमें एक किलोग्राम दूध पाउडर डाला जाता है. इस तरह तैयार किए गए दूध को एक घंटे के अंदर ही बच्चों को देना होगा बच्चों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव न हो, इसके लिए दूध के स्टॉक को तीन माह के अंदर प्रयोग में लाना होगा।
जल घंटी भी बजेगी
इसके साथ ही 2020 में स्कूलों में बच्चों के लिए जल घंटी की शुरुआत भी की जा रही है. भारत सरकार के फिट इंडिया मूवमेन्ट के तहत स्कूलों में तीसरे, पांचवें और आठवें पीरियड में जल घंटी बजाई जाएगी। इसके तहत बच्चों का पानी पीना अनिवार्य होगा। स्कूलों में जल घंटी शुरु करने का मकसद बच्चों को रोगों से दूर करना है। हर जल घंटी में पानी पीने के लिए बच्चों को कहा जाएगा ताकि बच्चों को रोगों से मुक्त किया जा सके।
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