14 जनवरी 2020
160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी निजी ट्रेनें
दिल्ली। देश में प्राइवेट ट्रेनों को चलाने का रास्ता साफ हो गया है। हमने पहले भी इस बारे में लोगों तक जानकारी पहुंची थी की देश में रेलवे स्टेशन से हर 15 मिनट में चलेगी अब निजी ट्रेन तो अब वह रास्ता साफ हो गया है। रेलवे 150 ट्रेनें निजी ऑपरेटर चलाएंगे। इसमें से दिल्ली से हावड़ा रूट पर करीब दर्जनभर निजी ट्रेनें लखनऊ के रास्ते होकर गुजरेंगी। वहीं एक ट्रेन लखनऊ से मुम्बई के बीच चलेगी, जोकि तेजस की तरह होगी। इसके लिए निजी ऑपरेटरों को रैक खरीदने पड़ेंगे। मेंटेनेंस चार्ज सहित लोको पायलट, गार्ड जैसे रेलकर्मियों से सेवाएं लेने के लिए रेलवे को भुगतान करना पड़ेगा। इसे लेकर फीजिबिलिटी जांचने का काम शुरू कर दिया गया है। गौरतलब है कि बीते वर्ष चार अक्तूबर को देश की पहली कारपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस का संचालन शुरू किया गया। आईआरसीटीसी को इसकी कमान सौंपी गई। रेलवे बोर्ड पहले इस ट्रेन को निजी हाथों में सौंपने के मूड में था, लेकिन अनुभव लेने के उद्देश्य से आईआरसीटीसी को संचालन की कमान दी। रेलवे को मिलने वाले राजस्व से लेकर यात्री सुविधाओं तक पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक, इन निजी ट्रेनों को ऑपरेट करने वाली कंपनियों को रैक यानी बोगियां खरीदनी पड़ेंगी। उन्हें विदेश से बोगियां आयात करने का विकल्प भी मिलेगा। चूंकि, ट्रैक रेल मंत्रालय के हैं, इसलिए इन ट्रैक पर अपनी निजी ट्रेनों को चलाने के एवज में रेलवे को किराया देना होगा। इसके अलावा निजी ऑपरेटरों को हाउस कीपिंग स्टाफ से लेकर लोको पायलट, गार्ड, मेंटेनेंस स्टाफ तक की सुविधाएं लेने के एवज में रेलवे को भुगतान करना पड़ेगा। निजी ऑपरेटरों की पहुंच कहां तक होगी और कहां रेलवे का हस्तक्षेप रहेगा, इसके हर पक्ष पर रेलवे अधिकारी विचार-विमर्श कर रहे हैं।
बोर्ड स्तर पर चल रहीं तैयारियां
प्राइवेट ट्रेनों के संचालन को लेकर रेलवे बोर्ड स्तर पर तैयारियां चल रही हैं। 150 ट्रेनें चलाई जाएंगी। इसलिए बारीकियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यात्रियों को इन ट्रेनों में बेहतर व उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान की जाएंगी। -दीपक कुमार, सीपीआरओ, उत्तर रेलवे
यात्रियों को मिलेंगी हवाई जहाज जैसी सुविधाएं
रेलवे भले ही 150 ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपकर कमाई का ख्वाब देख रहा हो, लेकिन इससे यात्रियों को भी राहत मिलेगी। एयरलाइन जैसी सुविधाएं ट्रेनों में पैसेंजरों को मिलेंगी। खानपान से लेकर टिकट कन्फर्मेशन जैसी दिक्कतें खत्म हो जाएंगी। ट्रेनों की लेटलतीफी पर भी अंकुश लगेगा। हालांकि, टिकटों की दरें किन आधार पर तय होंगी और यह अधिकार रेलवे के पास होगा या निजी ऑपरेटरों के पास, यह तय नहीं है।
डीएफसी बढ़ाएंगे रफ्तार
देश में ईस्टर्न व वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर यानी डीएफसी का काम तेजी से पूरा किया जा रहा है। इसमें वेस्टर्न डीएफसी दिल्ली से मुम्बई के बीच 1468 किमी का है, जबकि ईस्टर्न डीएफसी दिल्ली से कोलकाता के बीच 1760 किमी का है। इन डीएफसी बन जाने से मालगाड़ियों को इस पर पूरी तरह शिफ्ट कर दिया जाएगा, जबकि रेगुलर व पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार 130 से 160 किमी तक की जा सकेगी