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1 अप्रैल से हो सकता लागू मोदी सरकार का फैसला

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दिल्ली
16 मार्च 2021
1 अप्रैल से हो सकता लागू मोदी सरकार का फैसला
नए वित्त वर्ष के शुरुआत (From the beginning of new financial year) यानी 1 अप्रैल 2021 से नौकरी करने वाले लोगों के पीएफ (PF), ग्रैच्युटी (Gratuity) और काम के घंटों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. कर्मचारियों के ग्रैच्युटी और भविष्य निधि (PF) में बढ़ोतरी देखी जा सकती है. लेकिन, हाथ में आने वाला पैसा (Take home salary) कम हो जाएगा. इसका असर कर्मचारियों (Employee) और नियोक्ता (Employer) सभी पर होगा. इस नए नियम से कंपिनयों की बैलेंस शीट (Balance Sheet of the companies) भी प्रभावित होगी. इन सबके पीछे पिछले साल संसद में पास किए गए तीन मजदूरी संहिता विधेयक (Code on wages bill) हैं. इन विधेयकों के इस साल 1 अप्रैल से लागू किए जाने की संभावना है.

वेज (Wage) की नई परिभाषा के तहत अभ भत्ते कुल सैलरी के अधिकतम 50 प्रतिशत ही होंगे. मतलब बिल्कुल साफ है कि मूल वेतन (सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता) अप्रैल से कुल वेतन का 50 प्रतिशत या अधिक होना चाहिए

गौरतलब है कि आजाद भारत के 73 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं. सरकार का दावा है कि नए कानून से नियोक्ता और श्रमिक दोनों को फायदा पहुंचेगा.

नए नियम के मुताबिक, मूल वेतन कुल वेतन का 50 फीसदी या अधिक होना चाहिए. इससे ज्यादातर कर्मचारियों की सैलरी का स्ट्रक्चर (Salary structure) बदल जाएगा, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलरी के 50 फीसदी से कम होता है. वहीं, कुल वेतन में भत्ते का हिस्सा और भी अधिक हो जाता है. चूंकि, पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है. इसलिए, मूल वेतन बढ़ने से पीएफ बढ़ेगा, जिसका मतलब है कि टेक-होम (Take home salary) या हाथ में आने वाले वेतन में कटौती होगी.

रिटायरमेंट पर मिलने वाली राशि में होगी बढ़ोतरी

ग्रैच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में बढ़ोतरी होगी. इससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को सुखद जीवन जीने में आसानी होगी. उच्च वेतन पाने वाले बड़े स्तर को अधिकारियों के वेतन संरचना में सबसे बड़ा बदलाव आएगा. इसका ज्यादा असर उन पर ही पड़ेगा. पीएफ और ग्रैच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत भी बढ़ जाएगी, क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा. इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी.

12 घंटे तक काम करने का प्रस्ताव
नए ड्राफ्ट कानून में अधिकतम 12 घंटे तक काम करने का प्रस्ताव पेश किया गया है. ओएसच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान किया गया है. मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है. ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है. कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का विश्राम देने के निर्देश भी ड्राफ्ट नियमों में शामिल हैं

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