नई दिल्ली
22 फरवरी 2022
पहाड़ी इलाकों पर सुगम परिवहन रोपवे से जुडेंगे शहर
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों से दुर्गम पहाड़ियों पर आवागमन के लिए परिवहनसरल और सुगम बनेगा, जिससे लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से आ-जा सकें. सरकार ने देश के पहाड़ी क्षेत्रों में रोपवे विकसित करने का निर्णय लिया है। सड़क परिवहन और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी के निर्देश पर इस दिशा में काम तेजी से चल रहा है। इससे अनेको शहर आपस में जुडेंगे। चूंकि रोपवे परियोजनाएं पहाड़ी इलाके में एक सीधी रेखा में बनाई जाती हैं, इस लिए इस परियोजना में भूमि अधिग्रहण की लागत भी कम आती है. सड़क परिवहन की तुलना में प्रति किलोमीटर रास्ते के निर्माण की अधिक लागत होने के बावजूद, रोपवे परियोजनाओं की निर्माण लागत सड़क परिवहन की तुलना में अधिक किफायती हो सकती है।
सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में परिवहन नेटवर्क विकसित करना एक बड़ी चुनौती है। इन क्षेत्रों में रेल और हवाई परिवहन नेटवर्क सीमित हैं, जबकि सड़क नेटवर्क के विकास में कई तरह की तकनीकी चुनौतियां सामने आती हैं. इन परेशानियों को देखते हुए पहाड़ी इलाकों में रोपवे एक सुविधाजनक और सुरक्षित वैकल्पिक परिवहन साधन के रूप में उभरा है. वर्ष 2022-23 में 60 किलोमीटर की दूरी के लिए 8 रोपवे परियोजनाओं के ठेके दिए जाएंगे. इसकी घोषणा बजट में की जा चुकी है. उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने उत्तराखंड राज्य में रोपवे के विकास के लिए, सरकार के साथ एक समझौता किया है। सरकारी-निजी भागीदारी-पीपीपी के आधार पर राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम “पर्वतमाला” परियोजना शुरू की जाएगी. यह परियोजना दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के स्थान पर एक पसंदीदा परिवहन का विकल्प होगा. इस परियोजना का उद्देश्य दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा, यात्रियों के लिए संपर्क और सुविधा में सुधार करना है। परियोजना में भीड़भाड़ वाले पहाड़ी शहर शामिल किए जाएंगे। जहां पारंपरिक सामान्य परिवहन प्रणाली संभव नहीं है या बहुत चुनौतियां हों. यह परियोजना वर्तमान में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर और अन्य पूर्वाेत्तर राज्यों जैसे क्षेत्रों में शुरू की जा रही है. इसके अलावा मंत्रालय को अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, महाराष्ट्र, सरकारों से भी इसी तरह के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. भविष्य में वहां भी ये नेटवर्क विकसित किया जा सकता है