दिल्ली।
7 जनवरी 2020
निर्भया रेप कांड दोषियों का डेथ वांरट जारी
दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया रेप कांड को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुईै। पटियाला हाउस कोर्ट के जज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात की और सभी जजों ने वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्हीं के सामने ही डेथ वारंट पर फैसला सुनाया । देश की राजधानी दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया रेप कांड को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। हाउस कोर्ट के जज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चारों दोषियों से बात की। सुनवाई के दौरान निर्भया की मां और दोषी मुकेश की मां कोर्ट में ही रो पड़ीं। निर्भया मामले में चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन को पहले ही फांसी की सजा दी जा चुकी है। कानूनी कागजात फॉर्म नंबर 42 ही ब्लैक वॉरंट यानी डेथ वॉरंट होता है इसमें लिखा होता है। वॉरंट ऑफ पहले खाली कॉलम में जेल का नंबर लिखा होता है, जिस जेल में फांसी दी जाएगी. दूसरे कॉलम में फांसी पर चढ़ने वाले सभी दोषियों के नाम लिखे जाते हैं। खाली कॉलम में केस का नंबर केस नंबर लिखा जाता है. उसके बाद के कॉलम में जिस दिन ब्लैक वॉरंट जारी हो रहा है, वो तारीख पहले लिखी जाती है, उसके बाद के कॉलम में फांसी देने वाले दिन यानी मौत के दिन की तारीख लिखी जाती है और किस जगह फांसी दी जाएगी वो लिखा जाता है, जिसके बाद अगले खाली कॉलम में फांसी पर चढ़ने वाले दोषियों के नाम के साथ बकायदा यह आगे फॉर्म में साफ-साफ लिखा है कि जिस-जिस को फांसी दी जा रही है, उनके गले में फांसी का फंदा जब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मौत न हो जाए. फांसी होने के बाद मौत से जुड़े सर्टिफिकेट और फांसी हो गई है ये लिखित में वापस कोर्ट को जानकारी दी जाए, सबसे नीचे समय दिन और ब्लैक वॉरंट जारी करने वाले जज के साइन होते हैं. उसके बाद ये डेथ वॉरंट जेल प्रशासन के पास पहुंचता है, फिर जेल सुप्रीटेंडेंट समय तय करता है उसके बाद फांसी की जो प्रक्रिया जेल मैनुएल में तय होती है। उस हिसाब से फांसी दी जाती है।
