उत्तराखण्ड
20 जुलाई 2023
चमोली करंट हादसा – आखिर जिम्मेदार कौन?
चमोली। नमामि गंगे परियोजना के जिस सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में यह हादसा हुआ उसमें कर्मियों की तैनाती व मेंटिनेंश का काम कांफिडेंट इंजीनियरिंग कंपनी व जयभूषा कंपनी संयुक्त रूप से करती है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट पर सीवर की सप्लाई जल संस्थान के अंतर्गत संचालित होती है। जबकि बिजली सप्लाई की जिम्मेदारी ऊर्जा निगम की है। बुधवार को हुए हादसे को लेकर तीनों जिम्मेदार एजेंसी पल्ला झाड़ रहे हैं, सभी अपने स्तर से किसी तरह की चूक से इनकार कर रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि डेढ़ साल में तीन बार यहां करंट आने की बात सामने आ रही है। स्वयं जल संस्थान के ईई संजय श्रीवास्तव ने बताया कि एसटीपी के ठीक पीछे बिजली का ट्रांसफार्मर है। एक वर्ष पूर्व फाल्ट आने से ऊर्जा निगम ने ट्रांसफार्मर बदला था, और कंपनी ने प्लांट की केबल बदली थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले भी तीन बार यहां करंट की घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन हादसों को दबा दिया गया।
जब पहले से यहां पर तैनात युवक की मौत करंट लगने से होने की बात कही जा रही थी। तब इसको लेकर विभाग गंभीर क्यों नहीं हुए। यदि किसी भी स्तर से गंभीरता बरती जाती तो हादसा नहीं होता। एक तरफ प्लांट का संचालन करने वाली कंपनी के अधिकारी इसके लिए पूरी तरह से ऊर्जा निगम को जिम्मेदार बता रहे हैं। जबकि ऊर्जा निगम का स्पष्ट कहना है कि बीती रात को बिजली लाइन में फाल्ट आया था। लेकिन प्लांट में युवक की करंट से मौत की उन्हें सूचना नहीं दी गई।
न ही किसी ने शटडाउन के लिए कहा था। जबकि जल संस्थान के ईई संजय श्रीवास्तव अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने ऊर्जा निगम को हादसे के बारे में जानकारी दे दी थी और बिजली काटने के लिए कह दिया था। अब सवाल यह है कि इसके लिए किस स्तर से चूक हुई। तीनों में से ही कोई इसके लिए जिम्मेदार है। किस स्तर की गलती से इतने परिवार उजड़ गए।