24 मई 2020
गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व
काशीपुर (पं0 मुदित झा)। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन ही भगीरथ गंगा को धरती पर लाए थे। इस साल यह तिथि 1 जून 2020 को है। दशमी तिथि आरम्भ – 31 मई 2020 – 05.36 शाम, दशमी तिथि समापन – 1 जून 2020 – 02.57 शाम, इसी दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, जिसे गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार है. इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए इसे महापुण्यकारी पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मोक्षदायिनी गंगा की पूजा की जाती है।
दान-पुण्य का महत्व
गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. इस दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दुगुना फल प्राप्त होता है. गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम दस पापों से मुक्त होता है. इन दस पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है.
गंगा दशहरा व्रत और पूजन विधि
गंगा दशहरा का व्रत भगवान विष्णु को खुश करने के लिए किया जाता ह।. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन लोग व्रत करके पानी भी (जल का त्याग करके) छोड़कर इस व्रत को करते हैं. ग्यारस (एकादशी) की कथा सुनते हैं और अगले दिन लोग दान-पुण्य करते हैं. इस दिन जल का घट दान करके फिर जल पीकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं। इस दिन दान में केला, नारियल, अनार, सुपारी, खरबूजा, आम, जल भरी सुराई, हाथ का पंखा आदि चीजें भक्त दान करते हैं।
अच्छे योग
यदि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन मंगलवार रहता हो व हस्त नक्षत्र युता तिथि हो यह सब पापों के हरने वाली होती है। वराह पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी बुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गर, आनंद, व्यतिपात, कन्या का चंद्र, वृषभ के सूर्य इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सब पापों से छूट जाता है।
जुड़े रहिये हमारे साथ ऐसी ही ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए
अन्य ख़बरों की जानकारी के लिए हमें फेसबुक पर ज्वाइन करें और ट्विटर पर फॉलो करें
कमेंट में बताएं और न्यूज शेयर करें