उत्तराखण्ड
31 मई 2020
हरिद्वार कुंभ 2021 तय समय पर
हरिद्वार। देश में कोरोना वायरस का हमला जारी है आपको बता दें कि हरिद्वार में अगले साल 2021 में होने वाले कुंभ को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अभी हरिद्वार महाकुंभ के आयोजन में करीब नौ महीने का समय बचा है। इसलिए सरकार के पास इस आयोजन के संबंध में कोई फैसला लेने का थोड़ा वक्त है। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से काफी प्रयास किए जा रहे हैं। महाकुंभ के आयोजन को विश्वस्तरीय स्वरूप देने के लिए अभी तक 400 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इस आयोजन में करीब पांच करोड़ लोगों के हिस्सा लेने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन जानकारों का कहना है कि कोरोना संकट के कारण कुंभ के भव्य स्वरूप पर कुछ असर पड़ सकता है। मेले में आने वालों की संख्या में भी कमी की आशंका जताई जा रही है। लॉकडाउन का भी कुंभ मेले की तैयारियों पर काफी असर पड़ा है और कई काम प्रभावित हुए हैं। इस बीच कोरोना संकट को देखते हुए कुछ संतो ने कुंभ को एक साल आगे बढ़ाने की मांग की है। स्वामी विश्वात्मानंद पुरी का कहना है कि विशेष परिस्थितियों को देखते हुए कुंभ मेले के आयोजन को एक साल आगे बढ़ा देना चाहिए। ऐसा करने में कोई हर्ज नहीं है। कुछ अन्य संतों ने भी यह मांग की है। दूसरी ओर मेला प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि मेले के आयोजन को आगे बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है और इस बाबत कोई भी फैसला अखाड़ा परिषद की सहमति के बगैर नहीं लिया जाएगा।अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का कहना है कि यह सनातन परंपरा का मामला है और हरिद्वार कुंभ मेले का आयोजन को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। उनका कहना है कि कुंभ मेले के आयोजन में अभी काफी वक्त बचा है और तब तक स्थितियों में काफी सुधार भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है और हरिद्वार में काफी तेज गति से काम चल रहा है। इसलिए कुंभ मेले का आयोजन तय समय पर ही होगा। उत्तराखंड सरकार कुंभ मेले को भव्य रूप देने की कोशिश में जुटी हुई है। सरकार की ओर से हरिद्वार में काफी काम कराए जा रहे हैं ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। माना जा रहा है कि कोरोना संकट के कारण इस बार श्रद्धालुओं की संख्या पर असर पड़ सकता है। विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या भी कम हो सकती है। जानकारों का कहना है की स्थानीय पर्यटकों की संख्या भी सीमित करने पर विचार संभव है। राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि इस बाबत केंद्र सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से ही काम व उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा।
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