उत्तराखण्ड
1 दिसम्बर 2019
हमें अपनी संस्कृति व परम्पराओं पर भी गर्व होना चाहिए – उपराष्ट्रपति
देहरादून (अनुराग सारस्वत)। यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के 17 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एम. वैंकैया नायडू ने कहा कि शिक्षा हमें संस्कारवान व सामर्थ्यवान बनाती है। उपराष्ट्रपति ने दीक्षांत उपाधि पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत व अनुशासन से ही सपने साकार होते हैं। परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है। हमें अपनी संस्कृति व परम्पराओं पर भी गर्व होना चाहिए। भारतीय संस्कृति का आधार सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया व वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रही है। भारतीयों के डीएनए में ही सर्वधर्म समभाव है। हमारी अनेक भाषाएं, बोलियां हो सकती हैं परंतु देश एक ही है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी समृद्ध परम्पराओं को कायम रखना होगा इसके लिये युवाओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हमारा युवा देश है हमारी आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा 25 वर्ष से कम आयु के युवाओं का है। हमारे ये युवा देश के स्थायी विकास तथा तकनीकि दक्षता के वाहक बनेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा देश शिक्षा का केन्द्र रहा है। नालन्दा जैसे विश्वविद्यालय हमारे ज्ञान के आधार रहे हैं। लोकतन्त्र की मजबूती का आधार भी युवाओं के दक्षता विकास पर निर्भर है। समाज के बेहतर जीवन के लिये भी यह जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह हमारे शिक्षा संस्थाओं का दायित्व है कि वे युवाओं को बेहतर शिक्षा प्रदान कर उनके दक्षता विकास में मददगार बने। शिक्षा का मतलब केवल शिक्षित होना ही नही अपनी संस्कृति एवं परिवेश को मजबूती प्रदान करना भी है। उन्होंने कहा कि चरक, सुश्रुत, चाणक्य, विवेकानन्द जैसे महापुरुषों ने देश को ज्ञान की समृद्ध विरासत सौंपी हैं। हमारे युवाओं को उनके आदर्शो पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने युवाओं से अपनी फिटनेस पर भी ध्यान देने का कहा। हमारी आधुनिक जीवन शैली हमे आरामतलब बना रही है। हमारे युवा अपनी परम्परा तथा अपने परम्परागत खान पान पर ध्यान दे। यह हम सबके लिये उपयोगी रहेगा। उन्होंने युवाओं से समृद्ध भारत के निर्माण में भी सहयोगी बनने को कहा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने नए भारत के निर्माण के लिए स्किल इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत मिशन, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम प्रारम्भ किया हैं। युवाओं की इनमें महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रिफॉर्म, परफोर्म व ट्रांसफोर्म का मंत्र दिया है। उन्होंने कहा कि हमें जीवन में कभी भी अपनी मां, अपनी जन्मभूमि, अपनी मातृभाषा व अपने मातृदेश, अपने गुरूजनों तथा संस्थान को नहीं भूलना चाहिए। वर्तमान युग, ज्ञान का युग है। विश्वविद्यालयों को ज्ञान का सृजन केंद्र बनना होगा। इसके लिए मौलिक व स्तरीय शोध को महत्व देना होगा। हमारे युवा जागरूक व दक्ष बनें, हमारी शिक्षा व्यवस्था युवाओं में प्रगतिशील सोच विकसित करे और उन्हें सृजनात्मक, आत्मविश्वासी व स्व-निर्भर बनाए। युवाओं को राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभानी होगी। हमारी योग व आयुर्वेद की महान परम्परा रही है। इस विरासत का संरक्षण कर वैकल्पिक चिकित्सा, योग व आयुर्वेद में बड़ा योगदान दिया जा सकता है। इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने कहा कि विद्यार्थियों के जीवन में दीक्षांत समारोह की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, इससे उन्हें एक चुनौतीपूर्ण दुनिया का सामना करने के लिए अपने को तैयार करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन मूल्य, हमारी अर्जित विद्या के आधार पर ही निर्धारित व प्रभावित होते हैं। इसलिए विद्या का सकारात्मक व सृजनात्मक रूप ही अच्छा माना गया है। शिक्षा का मूल उद्देश्य है कि हम अपने ज्ञान के द्वारा एक कल्याणकारी समाज की स्थापना कर सकें। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा मनुष्य के अन्दर पहले से ही उपलब्ध परिपूर्णता का प्रकटीकरण है। शिक्षा व्यक्ति की अन्तर्निहित क्षमताओं को विकसित करने का माध्यम है ताकि वह समाज के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सक,े और अपने तथा अपने देश, उसकी संस्कृति और परम्पराओं का संवर्धन कर सके। राज्यपाल ने कहा कि युवाओं की वास्तविक सफलता का मूल्यांकन इस बात से होगा कि उनके कार्यों का समाज पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने युवाओं से ईमानदारी से अपने कर्तव्यों के निर्वहन की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड आज शिक्षा का केन्द्र बन रहा है। देश के तमाम बड़े प्रतिष्ठित संस्थान हमारे राज्य में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि बात चाहे विज्ञान की हो या स्वास्थ्य की, मैनेजमेंट की हो या टेक्नोलॉजी की, प्लास्टिक की बात हो या पेट्रोलियम की। हमारे राज्य में सभी तरह के राष्ट्रीय स्तर के संस्थान मौजूद हैं। मुख्यमंत्री ने पेट्रोलियम विश्वविद्यालय की इसके लिये भी सराहना की कि उनके सुझाव पर उन्होंने दीक्षान्त समारोह हेतु अपने देश की वेषभूषा स्वंय डिजाइन की इसका अनुसरण आई.आई.टी कानपुर सहित प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों द्वारा किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थान मिनी इंडिया की एक झलक प्रस्तुत करते हैं। लगभग सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के छात्र छात्राएं यहां अध्ययनरत हैं। इसी के दृष्टिगत राज्य स्थापना दिवस पर भारत भारती कार्यक्रम के जरिये देश की सांस्कृतिक विविधता तथा देश की एकता की झलक प्रस्तुत की गई, इससे राज्य में पढ़ने वाले युवाओं में सुरक्षा का भाव भी जागृत हुआ है। उन्होंने कहा कि एनर्जी के बिना कुछ भी कर पाना असंभव है, उन्हें खुशी है कि एनर्जी पर शोध में इस संस्थान ने विशेष ध्यान दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संस्थान ने राज्य के 13 जिलों में पाइन नीडल्स की मैपिंग का भी काम किया। हमने राज्य पिरूल पॉलिसी शुरू की है, जिसमें पिरूल से बायोफ्यूल बनाने के टेंडर आवंटित किए गए हैं। इस संस्थान द्वारा की गई मैपिंग इसमें बहुत काम आएगी। सोलर एनर्जी, बायोमास एनर्जी, माइक्रो-हाइड्रो एनर्जी, की मैपिंग के साथ साथ कार्बन फुट प्रिंटिंग जैसी तकनीक पर भी इस संस्थान ने काम शुरू किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा हमेशा से ये प्रयास रहा है कि प्रदेश की असल तस्वीर सबके सामने आनी चाहिए। इसलिए हमने पहली बार प्रदेश में इकोनॉमिक सर्वे कराया। इस इकोनॉमिक सर्वे को भी इस यूनिवर्सिटी ने सहयोग दिया है। उन्होंने इस संस्थान की इसके लिए भी सराहना की कि उनके द्वारा बेटियों के लिए एक खास पहल की गई है, हमारी कई ऐसी बेटियां हैं जो गरीब हैं, पढ़ना तो चाहती हैं लेकिन धन की समस्या आड़े आती है। इस संस्थान ने उन बेटियों के लिए जो फौजी परिवारों से हैं, या जो सिंगल पैरेंट्स के साथ रह रही हैं, उनके लिए फीस में 50 प्रतिशत की छूट दी है, जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई नए संस्थान खुल रहे हैं और इन संस्थानों के पीछे क्वालिटी एजुकेशन के साथ साथ हमारा मकसद ये भी है कि ऐसे संस्थानों से लोकल इकोनॉमी जनरेट हो। इस यूनिवर्सिटी के आसपास करीब दो हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने संस्थान के छात्रों से अपेक्षा की कि वे समाज के हुनरमंद बच्चों का भी सहारा बनें। समाज की इन प्रतिभाओं का सहारा बनकर वे समाज का बड़ा हित कर सकते हैं। उन्होंने यह भी अपेक्षा की कि यदि राज्य से जुड़े मुद्दों पर कोई खास रिसर्च, कोई सुझाव या कोई बात आप साझा करना चाहते हैं तो बेहिचक उसे हम तक पहुंचाइए। प्राप्त सुझावों या शोधों का सदुपयोग कर हम देश व प्रदेश के विकास को नई दिशा दे सकते हैं। यूपीईएस के कुलपति डॉ. दीपेंद्र कुमार झा ने बताया कि यूनिवर्सिटी आफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीस के 17 वें दीक्षांत समारोह में 80 विभिन्न कार्यक्रमों के 3741 छात्र-छात्राओं को उनकी डिग्री से सम्मानित किया गया। कुल 3741 छात्रों को दीक्षांत समारोह में उनके संबंधित डिग्री से सम्मानित किया गया जिसमें 29 पीएचडी, 1215 स्नातकोत्तर डिग्री जिनमें एम.बी.ए, एम.टेक, एम.ए, एल.एल.एम, एम. प्लान और 2497 स्नातक डिग्री के डोमेन में जिनमें एम. डिजाइन, बी.टेक, बी.बी.ए, बी.ए, बी. डिजाइन और कानून के विभिन्न यूजी कार्यक्रम शामिल हैं। स्नातकोत्तर उपाधियों में से उत्तराखण्ड राज्य कर्मचारियों को ओपन/डिस्टेंस लर्निंग मोड के तह 69 डिग्रीयां प्रदान की गई जिसमें 35 एम.बी.ए इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट में और 34 एम.बी.ए-पावर मैनेजमेंट में हैं। इनके साथ ही भारत सरकार के उपक्रम एच.पी.सी.एल के 72 कर्मचारियों को भी एम.बी.ए-ऑयल एंड गैस की डिग्रीयों के साथ सम्मानित किया गया।