आरती डोगरा एक मिसाल - बुलंद हौसला इंसान को बड़े से बड़े ओहद तक ले जा सकता है

आरती डोगरा एक मिसाल – बुलंद हौसला इंसान को बड़े से बड़े ओहद तक ले जा सकता है

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उत्तराखण्ड
5 जनवरी 2021
आरती डोगरा एक मिसाल – बुलंद हौसला इंसान को बड़े से बड़े ओहद तक ले जा सकता है
देहरादून। बुलंद हौसला और सच्ची लगन इंसान को बड़े से बड़े ओहदे तक ले जा सकती है. इसी मिसाल का उदाहरण हैं आईएएस अधिकारी आरती डोगरा. इनका बचपन काफी कठिनाइयों से गुजरा इसके बावजूद आरती डोगरा ने वह मुकाम हासिल किया जिसके बारे में कई लोग कल्पना तक नहीं कर सकते हैं. आज हम आपको बताएंगे आईएएस आरती डोगरा की जुनून और संघर्ष पूर्वक कहानी के बारे में जिन्होंने अपने जुनून के आगे अपनी छोटे कद को कभी आड़े आने नहीं दिया. आरती डोगरा मूलरूप से उतराखंड के दून स्थित विजय कॉलोनी की रहने वाली हैं. उनका बचपन कापी संघर्षपूर्ण था क्योंकि उनकी हाइट महज 3 फुट 2 इंच है. बचपन में डॉक्टर ने कहा था कि वह सामान्य स्कूल में नहीं पढ़ पाएंगी. लेकिन, आरती के पिता कर्नल राजेन्द्र डोरा सेना में अधिकारी थे और मां कुमकुम स्कूल में प्रिंसिपल. दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और उनके जुनून ने आरती डोगरा को हौसला प्रदान किया. आरती मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून के रहने वाली हैं. उनके पिता कर्नल राजेंद्र डोरा सेना में अधिकारी थे और उनकी माता श्रीमती कुमकुम डोगरा एक स्कूल प्रिंसिपल है. आरती डोगरा का जिंदगी काफी संघर्षपूर्ण था क्योंकि उनकी हाइट महज 3 फुट 2 इंच है. आरती के माता-पिता को उनकी शारीरिक कमजोरी के बारे में डॉक्टर ने जन्म के समय ही बता दिया था.इसके बावजूद उनके माता-पिता ने हिम्मत नहीं हारी और आरती को उन्होंने स्कूल में भेजना शुरू किया. स्कूल में भेजने के साथ साथ-साथ ही उन्होंने खेलकूद और अन्य गतिविधियों के लिए भी आरती को तैयार किया. आरती डोगरा के बचपन से शारीरिक समस्या के बावजूद उनके पिता ने सिंगल चाइल्ड की तरह आरती की देखभाल की. स्कूल से निकलने के बाद आरती डोगरा दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए पहुंचे. यहां उन्होंने छात्र राजनीति में भी हिस्सा लिया और छात्र संघ चुनाव में जीते ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद आरती ने पीजी की पढ़ाई अपने ही शहर देहरादून से कि यहां पर उनकी मुलाकात देहरादून की तत्कालीन कलेक्टर मनीषा से हुई और वहीं से आरती डोगरा की जिंदगी बदल गई. आरती ने बताया कि देहरादून के तत्कालीन कलेक्टर मनीषा ने ही उन्हें कलेक्टर बनने के लिए प्रेरित किया और उसके बाद आरती ने तय किया कि वह कलेक्टर बनेगी आरती के परिवार वालों ने भी इस फैसले में उनका साथ दिया. जब आरती इंटरव्यू के लिए गई थी गई थी तो वह पूरी तरह से नर्वस थे हालांकि वहां पर लोगों ने उनका सहयोग किया उनका इंटरव्यू काफी अच्छा गया और वह पहले ही प्रयास में कलेक्टर बन गई.

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