धर्म
1 जून 2020
कल्कि अवतार की धार्मिक मान्यताएं, सम्भल में होगा अवतार
कल्कि अवतार और कलियुग का संबंध हिंदू धर्म में चार युग बताए गए हैं। ये चार युग हैं- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग. ऋग्वेद , महाभारत और कौटिल्य ने भी अपने पुराणों में युग शब्द का प्रयोग किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अभी कलियुग चल रहा है. हिंदू धर्म में अलग-अलग युग के देवता बताए गए हैं. कलियुग के देवता कल्कि अवतार जोकि भगवान विष्णु के अंश हैं को माना गया है. पुराणों में भविष्यवाणी मिलती है कि कलियुग के अंतिम चरम में कल्कि अवतार पृथ्वी पर आएगा।
कल्कि अवतार –
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु कलियुग में कल्कि अवतार लेंगे. कलियुग और सतयुग के संधिकाल में कल्कि अवतार पृथ्वी पर प्रकट होंगे। मान्यताओं के अनुसार, कल्कि अवतार 64 प्रकार की कलाओं में निपुण होंगे. कई धार्मिक पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कल्कि अवतार मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर पर पुत्र रूप में जन्म लेंगे।
श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद के अनुसार- सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।
इसका तात्पर्य है कि- सम्भल ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण होंगे. उनका ह्रदय बड़ा उदार और भगवतभक्ति पूर्ण होगा. उन्हीं के घर कल्कि भगवान अवतार लेंगे।
इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि कल्कि भगवान देवदत्त नामक सफेद घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुनरूस्थापना करेंगे. स्कंद पुराण के दशम अध्याय में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि कलियुग में भगवान विष्णु कल्कि अवतार के रूप में संभल में जन्म लेंगे।
कल्कि पुराण में इस बात का उल्लेख इस रूप में है कि सम्भल नामक ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण निवास करेंगे, जो सुमति नामक स्त्री के साथ विवाह करेंगें दोनों ही धर्म-कर्म में जीवन गुजारेंगे. कल्कि उनके घर में पुत्र होकर जन्म लेंगे और अल्पायु में ही वेदादि शास्त्रों का पाठ करके महापण्डित बनेंगे। बाद में वे जीवों के दुःख से कातर हो महादेव की उपासना करके अस्त्रविद्या प्राप्त करेंगे जिनका विवाह बृहद्रथ की पुत्री पद्मादेवी के साथ होगा।
अग्नि पुराण के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का वर्णन और चित्रण मिलता है. इसमें कल्कि अवतार को तीर-कमान लिए हुए एक घुड़सवार के रूप में दिखाया गया है. वहीं कल्किपुराण के अनुसार, कालकी भगवान हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा तथा बौद्ध, जैन और म्लेच्छों को पराजित कर सनातन राज्य की दोबारा स्थापना करेगा।
बौद्धकाल के कुछ कवियों और कुछ अन्य पुराणों में इस बात का जिक्र मिलता है कि कल्कि अवतार हो चुका है. श्वायु पुराणश् के 98 वें अध्याय 98 में लिखा है कि जब कलियुग अपने क्रम पर होगा तब कल्कि अवतार का जन्म होगा. साथ ही इसमें इसमें विष्णु की प्रशंसा करते हुए दत्तात्रेय, व्यास, कल्की विष्णु के अवतार बताए गए हैं। वैष्णव ब्रह्माण्ड विज्ञान में लिखा है कि कल्कि अवतार अन्तहीन चक्र वाले चार कालों में से अन्तिम कलियुग के अन्त में हिन्दू भगवान विष्णु के दसवें अवतार माने जाते हैं. जब भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े पर बैठकर होकर अपनी लपलपाती तेज धर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे तब सतयुग का प्रारंभ होगा और सनातन धर्म पुनः स्थापित होगा।
कलियुग के लक्षण –
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलियुग में मानवता का पतन हो जाएगा, लोगों का व्यक्तित्व दोहरा होगा, लोगों के कर्मों और दिखावे में काफी फर्क होगा. रिश्ते अपना मान खो देंगे और एक दूसरे का सम्मान केवल दिखावा मात्र रह जाएगा.
नोट – इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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