काशीपुर में साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन

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उत्तराखंड
20 सितंबर 2022
काशीपुर में साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन
काशीपुर| साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन डॉ. पुनीता कुशवाहा की ओर से अग्रवाल सभा में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कवियों ने अपनी रचना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।कवि सुरेंद्र अग्रवाल ने कहा ‘मां तेरी ममता से बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं…’। कवयित्री डॉ. विनीता कुशवाहा ने कहा ‘जिनके कारण मैं जग में आई जिसके लिए मैं जग में आई…’। जितेंद्र कुमार कटियार बोले ‘उसके बिना मन की प्यास बुझती ही नहीं क्या करें क्या करें…’।

कैलाश चंद्र यादव ने कहा ‘जाने जां दूर से आवाज मुझे और न दे…’। शेष कुमार सितारा के शब्द थे ‘मेरी एक कलम ने देखो गीतों को लिख डाला…’। डॉ. मनोज आर्य बोले ‘अजनबी हम गांव में अपने नजर आने लगे…’।शकुन सक्सेना की कविता के बोल थे ‘राही बड़ी मुश्किल से संभाला गया है मुझको…’। अनुराग चौधरी बोले ‘तजुर्बा तो बहुत हुआ जिंदगी का मगर…’। डॉ. सुरेंद्र मधुर ने कहा ‘अपने तो है मगर विश्वास नहीं, दिल तो है मगर एहसास नहीं…’।

डॉ. संतोष कुमार पंत बोले ‘न जाति का मुझे नाम दो, न धर्म की पहचान दो…’। मुनेश कुमार शर्मा के शब्द थे ‘फूल कभी कांटों में पलती है जिंदगीं…’। डॉ. महेंद्र जोशी ने कहा ‘किसके पक्षाघात से विचलित हुआ आज संसार…’रामप्रसाद की कविता थी ‘अनुरागी नैनों से अब नैन मिले मुख से हुई न बात…’। ज्ञानी हिंदुस्तानी बोले ‘हे परमात्मा मेरी आत्मा में ज्ञान का प्रकाश दो…’। कवयित्री मंजुल मिश्रा ने महिलाओं को दहकती चिंगारी बताया। कवि अनिल सारस्वत ने बहनों को नमन किया। वीरेंद्र कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में मुनेश कुमार शर्मा ने संचालन किया। वहां अभय कटियार, विश्वास कुशवाहा, कमल कुमार, आरती कुशवाहा, विनीता कुशवाहा आदि रहे।

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