उत्तराखण्ड
8 अप्रैल 2023
कैसे हो काशीपुर का उद्धार, क्या अब नेताओं में नहीं रही वो धार?
काशीपुर। कई दशक से काशीपुर का विकास व जिला बनाने की मांग ठंडे बस्ते में पडी है। अब सवाल यह है कि क्या नेताओं में वह धार नहीं रही कि वह अपनी शहर के विकास को लेकर जनता की मांगों को सरकार से मंगवा सके। चुनाव आते ही काशीपुर का विकास व जिला बनाने के लिए हर नेता प्रथम पंक्ति में खड़ा रहता है पर चुनाव बाद फिर ठाक के तीन पात। हर पार्टी के नेता ने काशीपुर के विकास व जिला बनाने के लिए जोर शोर से हामी भरी। परन्तु आज सत्ता व विपक्ष इस मांग को लेकर शांत है। कई सामाजिक संगठनों, नेताओं द्वारा पिछले दशकों में कई आंदोलन कर अपनी मांगों को मनवाया। परन्तु अब तो लगता है कि जैसे नगर के नेताओं में वह धार नहीं रही जिससे काशीपुर का उद्धार हो सके। नगर की जनता जैसे आंदोलन करना भूल ही गये है। एक वह दिन था कि नगर पालिका गेट पर आये नगर के समस्याओं को लेकर धरना प्रदर्शन चलता था। परन्तु आज चाहे वह बढ़ते बिजली के रेट हो, जिले की मांग, सालों से बन रहे ओवरब्रिज या नगर की जनसमस्या हो जैसे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। कई नेताओं ने तो चुनाव आने से पहले जोर शोर से काशीपुर की विकास की बात करते है पर चुनाव के बाद पार्टी ही बदल शांत हो जाते है ऐसा नहीं की नगर के नेताओं की कमी है परन्तु सभी नेता अब कार्यकर्ता नहीं पार्टी के पदाधिकारी हो गये है इसलिए कोई भी पहल को तैयार नहीं होता । क्या नगर में विकास कार्यो को गति दिलाने के लिए अब आम नागरिक, सामाजिक संगठनों, आन्दोलनकारियों को मैदान में नहीं उतरना चाहिए? यह सोचने का विषय है कि आज हमारा शहर विकास के किस मोड है।