चीन की चाल बांग्लादेश को अपनी ओर करने की कोशिश

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नई दिल्ल्ी
20 जून 2020
चीन की चाल बांग्लादेश को अपनी ओर करने की कोशिश
नई दिल्ली। कोविड-19 से जंग में भारत के वैश्विक मंच पर बढ़े कद और दबदबे से घबराया चीन अब हिंदुस्तान को उसके पड़ोसी देशों को भड़का कर चैतरफा घेरने की कोशिश कर रहा है. पूर्वी लद्दाख में हिंसक झड़प के बाद ड्रैगन ने अपने नापाक इरादों को अमल में लाने की प्रक्रिया तेज कर दी है. नेपाल को भड़काने के बाद अब वह बांग्लादेश को अपने खेमे में करने के लिए आर्थिक प्रलोभनों का सहारा ले रहा है. गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर भारत-बांग्लादेश संबंधों में कुछ दूरियां आई हैं। चीन इसी बात को भुनाने की कोशिश में है।

नेपाल को कर चुका है भारत से दूर
चीन की आक्रामक विस्तार नीति का एक पैंतरा यह भी है कि विकासशील और छोटे देशों को कर्ज देकर उन्हें अपने पाले में करो फिर अपनी मनमानी करो. पाकिस्तान और श्रीलंका इसके उदाहरण भर हैं. पाकिस्तान तो चीन के कर्ज के मकड़जाल में आकंठ डूबा है. श्रीलंका भी चीनी इमदाद से बने बंदरगाह के दुष्परिणाम भोग रहा है. नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी को बचाकर वह लगभग इस छोटे देश को अपने खेमे में कर चुका है. यह चीनी प्रभाव का ही कमाल है कि नेपाल ने पिछले दिनों भारतीय इलाकों पर दावा कर कुछ हिस्सों को अपने नक्शे में दिखाया और उसे संसद में पारित कर कानूनी जामा भी पहना दिया है।

व्यापार टैरिफ में दी छूट
बताते हैं कि बीजिंग प्रशासन ने बांग्लादेश को ऐसे ही कर्ज जाल में फंसाने की कोशिश है. जानकारी के मुताबिक चीन ने बांग्लादेश को व्यापार में टैरिफ छूट का लालच दिया है. शी जिनपिंग सरकार की ओर से कहा गया है कि 5,161 सामान जिनका चीन और बांग्लादेश व्यापार करते हैं उसमें 97 फीसदी तक टैरिफ पर छूट दी जाएगी. बताते हैं कि इस तरह का प्रस्ताव खुद बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार की ओर से जिनपिंग सरकार को दिया गया है जानकारी मिली है कि बांग्लादेश ने खुद कहा था कि वह कम विकसित देश है इसलिए उसे कुछ रियायत मिलनी चाहिए. भारत से बिगड़ते रिश्तों के बीच चीन 16 जून को इस पर राजी हो गया. फिलहाल एशिया पसेफिक ट्रेड अग्रीमेंट के तहत दोनों देशों के बीच 3,095 सामनों पर ट्रैरिफ फ्री व्यापार होता है. अब बाकी सामान इसी लिस्ट में जुड़ जाएगा. भारत के लिए यह चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि अब तक बांग्लादेश भारत के करीब रहा है. हालांकि संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर दोनों देशों के बीच रिश्ते थोड़े तल्ख हो गए है।



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