जोशीमठ - भगवान नृसिंह के हाथ पतले होने की पीछे क्या है पौराणिक कथा

जोशीमठ – भगवान नृसिंह के हाथ पतले होने की पीछे क्या है पौराणिक कथा

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उत्तराखण्ड
17 जनवरी 2023
जोशीमठ – भगवान नृसिंह के हाथ पतले होने की पीछे क्या है पौराणिक कथा
इस समय जोशीमठ को लेकर काफी चर्चा बनी हुई है. जोशीमठ में सड़कों और घरों के साथ मंदिरों में दरारें दिखाने लगी हैं. जिनमें बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर और धार्मिक मान्यताओं से पूर्ण नृसिंह मंदिर भी शामिल है. नृसिंह मंदिर में भी कई दरारें आ गई हैं. इसके साथ ही भगवान विष्णु के चौथे अवतार नृसिंह की शांत मुद्रा में मूर्ति स्थापित है. उस मूर्ति की एक बाजू समय के साथ पतली होती जा रही है. जिसकी कई वजह सामने आई हैं, आइए जानते हैं कि भगवान नृसिंह के हाथ पतले होने की पीछे पौराणिक कथाओं के बारे में.
आदिगुरु शंकराचार्य ने की स्थापना 
मान्यता है कि भगवान नृसिंह के इस मंदिर की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य ने की थी. क्योंकि भगवान नृसिंह को वह अपना इष्टदेव मानते थे. इस मंदिर में आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी भी है. यह मंदिर करीब हजारों साल पुराना है और ठंड के समय भगवान बद्रीनाथ इसी गद्दी में आकर विराजमान होते है. ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान नृसिंह के दर्शन के बिना बदरीनाथ की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है. इसलिए इस मंदिर को नृसिंह बदरी भी कहा जाता है.
मंदिर में स्थित भगवान नृसिंह की प्रतिमा की दाएं हाथ की भुजा पतली है और यह हर साल धीरे-धीरे पतली होती जा रही है. बताया जा रहा है कि एक दिन भगवान नृसिंह का यह हाथ टूट कर गिर जाएगा. जिस दिन यह घटना होगी तो यहां स्थित नर और नारायण नाम के पहाड़ आपस में मिल जाएंगे और भगवान बदरीनाथ के दर्शन नहीं हो पाएंगे. तब जोशीमठ के तपोवन क्षेत्र में भविष्य बदरी मंदिर में बदरीनाथ के दर्शन होंगे.
श्रापित है यह स्थान…

जोशीमठ पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय में यहां पर वासुदेव नाम के एक राजा राज करता था. एक दिन वह राजा शिकार खेलने के लिए वन में गया था. उसी समय भगवान नृसिंह राजा के महल पहुंचे और महारानी से भोजन के लिए कहा, जिसके पश्चात् महारानी ने आदर पूर्वक भगवान को भोजन करवाया. भोजन करने के बाद भगवान से महारानी ने राजा के बिस्तर पर आराम करने के लिए कहा. इसी बीच राजा शिकार से लौट आए और अपने आराम कक्ष में पहुंचे. राजा ने देखा की कोई पुरुष उनके बिस्तर पर लेटा हुआ है. राजा क्रोध से लाल हो गया और क्रोध में आकर तलवार से उस पुरुष पर वार कर दिया. भगवान को जैसे ही तलवार लगा उनकी बाजू से रक्त की बजाय दूध बहने लगा और पुरुष भगवान नृसिंह के रूप में बदल गया. 

राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ और माफी मांगने लगा. भगवान नृसिंह ने कहा कि तुमने जो अपराध किया है उसका दंड यह है कि तुम अपने परिवार के साथ जोशीमठ छोड़ दो और कत्यूर में जाकर बस जाओ. साथ ही भगवान ने कहा कि तुम्हारे प्रहार के प्रभाव से मंदिर में जो मेरी मूर्ति है उसकी एक बाजू पतली होती जाएगी और जिस दिन वह पतली होकर गिर जाएगी उस दिन राजवंश का अंत हो जाएगा.

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