
उत्तराखण्ड
26 अक्टूबर 2020
मिठाई की ट्रे में मिठाई का नाम व रेट, लेकिन नहीं है एक्सपायरी डेट
काशीपुर। केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर को दुकानों पर बेची जानी वाली खुली मिठाइयों की ट्रे पर मिठाई का नाम, उसे बनाने और एक्सपायरी डेट लिखने के आदेश जारी किए थे। आदेश के 20 दिन बाद भी किसी दुकानदार द्वारा उसका पालन नहीं किया जा रहा है। दुकानदारों का कहना है कि हमें ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है और ना निर्देश प्राप्त हुए। निर्देश मिलते हैं तो पालन करेंगे। इधर जिला खाद्य सुरक्षा विभाग की माने तो खुली मिठाइयों के सामने मिठाई की निर्माण तारीख और बेस्ट बिफोर यूज की डेट लिखना जरूरी है। जो नहीं लिख रहे हैं उन्हें नोटिस देंगे। नियमों का पालन किया तो ठीक, नहीं तो कार्रवाई करेंगे। हैरानी है कि केंद्र के आदेश जारी करने के 20 दिन बाद भी दुकानदारों तक इसकी सूचना नहीं पहुंची है। ये जिम्मेदारों की लापरवाही को दर्शाता है। अब तक सिर्फ पैकिंग मिठाई व सामानों पर एक्सपायरी डेट लिखी होती थी। जिसे देखकर उपभोक्ता सामान खरीदते थे। लेकिन खुली मिठाइयां दिखने में सुंदर होती थी और पता नहीं चलता कि इसे बनाएं कितना समय हो गया या कितनी पुरानी हैं। ऐसे में उपभोक्ता मिठाई खरीद लेते थे और दुकानदार नुकसानी से बचने के लिए उन्हें बेच देते थे। केंद्र सरकार के आदेश के बाद दुकानदारों को खुली मिठाइयों की ट्रे पर उनके निर्माण और एक्सपायरी डेट लिखना जरूरी है। अभी भी शहर के किसी दुकानदार ने ऐसा नहीं किया। शहर में छोटी-बड़ी मिलाकर 30 से 40 मिठाई की दुकानें है। हमारे संवाददाता ने जब कुछ दुकानदारों से चर्चा की तो उनका कहना था कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और ना ही कोई सर्कुलर प्राप्त हुआ। ऐसे में सरकार के आदेश की जमीनी हकीकत वास्तविकता से बिल्कुल उलट है।त्योहारी सीजन में मावे की मिठाई अधिक बिकती है और भाव ज्यादा होते हैं। दुकानों पर मावा बनाने वाले कम होते हैं। ज्यादातर लोग गांवों से ही मावा मंगाते हैं। जो तय दुकानदारों को बेचा जाता है। शहर में कुछ होटल संचालक ही दूध की खरीदी कर मावा तैयार करते हैं। यही कारण है कि ज्यादातर दुकानदार मावे की मिठाई को पहले ही बनाकर रख लेते हैं। चूंकि फ्रीजर में पता नहीं चलता कि वो अच्छी है या एक्सपायरी हो चुकी। दुकानदार त्योहारी भीड़ में ताजी मिठाइयों के साथ पुरानी मिठाइयां भी बेच देते हैं। जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ता है शहर में खाद्य पदार्थों की जांच की जिम्मेदारी जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की है। नियमित कार्रवाई नहीं होने के कारण दुकानदारों के हौंसले बढ़ते हैं। उन्हें पता है कि खाद्य सुरक्षा विभाग त्यौहार के दो से पांच दिन पहले ही कार्रवाई करेंगे, इससे पहले ही वे पुराना माल ठिकाने लगा देते हैं या छिपा लेते हैं। क्योंकि एक बार जांच होने के बाद कोई पलट कर नहीं आता। इसके बाद धडल्ले से पुरानी मिठाइयां बेच दी जाती है।
कौन सी मिठाई कब तक होती है खाने लायक
एक दिन कलाकंद, बटर स्कॉच कलाकंद, चॉकलेट कलाकंद।
दो दिन दूध से बने खाद्य पदार्थ मिल्क बादाम, रसगुल्ला, रबड़ी, रसमलाई, शाही टोस्ट, रसकाटा, खीर मोहन आदि।
चार दिन मिल्क केक, मथुरा पेड़ा, मलाई घेवर, तिलबुग्गा, केर्स कोकोनट लड्डू, मोतीचूर मोदक, खोया बादाम, फ्रूट केक, पेड़ा, प्लेन बर्फी, मिल्क बर्फी, सफेद पेड़ा, बूंदी लड्डू, खोया कोकोनट बर्फी, मोती पाक आदि।
सात दिन काजू कतली, ड्राई फ्रूट लड्डू, मूंग बर्फी, आटे का लड़डू, काजू केसर बर्फी, काजू बेसन की बर्फी,केसर बिग मलाई, स्माल केसर घेवर, काजू रोल, बालूशाही और चंद्रकला आदि।
30 दिन सोहन पापड़ी, बतीसा, आटे, बेसन और चने आदि के लड्डू, चने की बर्फी, अंजीर खजूर बर्फी, कराची हलवा, सोहन हलवा, गजक चक्की आदि।
अन्य ख़बरों की जानकारी के लिए हमें फेसबुक पर ज्वाइन करें और ट्विटर पर फॉलो करें
कमेंट में बताएं और न्यूज शेयर करें
Suryavansham Times प्रदेश में ही नही देश में भी प्रतिष्ठित होती मीडियापोर्टल की हिंदी वेबसाइट है। www.suryavanshamtimes.com में हमें आपकी राय और सुझावों की जरुरत हैं।
आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें suryavanshamtimes@gmail.com पर भेज सकते हैं या हमारे व्हाटसप नंबर 7037821378 पर भी संपर्क कर सकते हैं
Suryavansham Times पिछले 11 महीने में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल ,उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली,हरियाणा, हिमाचल, बिहार आदि प्रदेशो में प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल बन कर सामने आया है आपके इस प्यार के लिए हमारा सम्पादक मण्डल आभारी है।