उत्तराखण्ड
3 सितम्बर 2022
सूर्यवंशम टाइम्स
राधा अष्टमी – बरसाने में हुई तैयारी आ रही है लाडली प्यारी
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव जन्माष्टमी के 15 दिन बाद यानि कल 4 सितम्बर को राधाष्टमी का पावन पर्व मनाया जायेगा। भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और समृद्धि का आगमन होता है। परिजनों में प्रेम बढ़ता है। कहा जाता है कि राधा जी का नाम जपने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं। राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने और राधा रानी के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से परिवार में खुशियां बनी रहती हैं। राधा रानी की कृपा से परिवार धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है। राधा अष्टमी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। राधा अष्टमी के दिन तांबे या मिट्टी का कलश पूजन स्थल पर रखें और तांबे के पात्र में राधा जी की मूर्ति स्थापित करें। पंचामृत से स्नान करा सुंदर वस्त्र पहनाकर उनका शृंगार करें। फल-फूल और मिष्ठान अर्पित करें। श्रीराधा कृष्ण की आरती करें। राधा जी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी गई है। जो लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं, उन्हें राधा रानी के जन्मोत्सव पर व्रत अवश्य रखना चाहिए। इस दिन बरसाना में वृषभानु जी और माता कीर्ति जी के घर राधाजी ने जन्म लिया था। राधाष्टमी के दिन राधा और श्याम की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है। राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पाप दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि जिन पर राधा जी प्रसन्न हो जाती हैं, उन पर भगवान श्रीकृष्ण स्वयं प्रसन्न हो जाते हैं।
श्रीराधे रानी का भोग
राधारानी और कन्हैया जी को अरबी बहुत प्रिय है। इस दिन उन्हें अरबी की सब्जी या अरबी से बनी मिठाई आदि का भोग 56 प्रकार के व्यंजनों के साथ या अपनी क्षमता के अनुसार लगाया जाता है। 2. राधारानी और कन्हैया जी के लिए पान का भोग जरुर लगाएं।
श्रीराधे-राधे
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