उत्तराखण्ड
25 अप्रैल 2023
हाईकोर्ट ने बहुचर्चित एनएच 74 घोटाले में निर्णय सुरक्षित रखा
नैनीताल। उत्तराखंड के बहुचर्चित एनएच 74 घोटाले के दस आरोपियों के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने सभी मामलों की एक साथ सुनवाई पूरी कर फिर से निर्णय सुरक्षित रख लिया है। जबकि, इस मामले में कोर्ट ने पहले भी निर्णय सुरक्षित रखा था, (लेकिन कोर्ट ने कुछ बिंदुओं पर फिर से सुनवाई की और अंतिम निर्णय सुरक्षित रख लिया है। गौरतलब हो कि एनएच 74 घोटाले मामले में डीपी सिंह, अर्पण कुमार, संजय कुमार चौहान, विकास कुमार, भोले लाल, भगत सिंह फोनिया, मदन मोहन पलड़िया, बरिंदर सिंह बलवंत सिंह, रमेश कुमार और ओम प्रकाश ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर निचली अदालत के 28 अप्रैल 2022 के आदेश को चुनौती दी है। जिसमें ईडी से कहा गया था कि इनके खिलाफ अलग-अलग मुकदमे दर्ज की जाए। जिसके बाद ईडी ने उनके खिलाफ अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए. याचिकाओं में कहा गया कि यह आदेश गलत है. पहले के मुकदमे को वापस नहीं लिया जा सकता. घोटाले में आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग शिकायतें भी दर्ज है। किसी के खिलाफ एक तो किसी के खिलाफ दो या तीन शिकायतें दर्ज है. जबकि, डीपी सिंह के खिलाफ तो सात शिकायतें दर्ज हैं। ऐसे में याचिका में गया कि अगर वे एक केस में उपस्थित नहीं होने का प्रार्थना पत्र देते हैं तो उन्हें अन्य 6 केसों में भी प्रार्थना पत्र देना पड़ेगा, नहीं देने पर उनके खिलाफ कुछ भी आदेश हो सकता है। इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाए। एनएच 74 मामले में एसआईटी ने साल 2017 में 2011 करोड़ रुपए घोटाले की पुष्टि की थी. जिसमें कई अधिकारी, कर्मचारी और किसान शामिल थे. जिन्होंने किसानों की कृषि योग्य भूमि को अकृषि दिखाकर घोटाले को अंजाम दिया था। बीती 1 मार्च 2017 को तत्कालीन आयुक्त सेंथिल पांडियन ने घोटाले की आशंका जताई थी और उधम सिंह नगर डीएम को जांच के आदेश दिए थे।
वहीं, जांच सही पाए जाने पर तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने पंतनगर के सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. इनके अलावा कई लोगों के नाम भी सामने आए, उन्हें जेल भेज दिया गया. जबकि, दो आईएएस अधिकारी भी निलंबित हुए. अभी एनएच 74 घोटाले के आरोपी जमानत पर रिहा हैं. अब मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.